नारी डेस्क: इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) न केवल एक चिकित्सा प्रक्रिया है, बल्कि यह उन कपल्स के लिए एक गहरा विकल्प है जो प्राकृतिक गर्भाधान में समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यह आपत्तियों को पार करता है और उम्मीद दिलाता है जहां पारंपरिक तरीके असफल हो सकते हैं। लेकिन, IVF के बारे में अधिकांश मिथक वास्तविकता को छिपा देते हैं, जिससे कई लोग इसके लाभ और जटिलताओं को समझने में असमर्थ हो जाते हैं।
मिथक: IVF से बच्चे अस्वाभाविक होते हैं।
सत्य: IVF से उत्पन्न बच्चे समानता में होते हैं जैसे कि प्राकृतिक गर्भाधान से उत्पन्न बच्चे। IVF केवल गर्भाधान प्रक्रिया को मध्यस्थ करती है और बच्चे की शारीरिक और भावनात्मक समझ में कोई अंतर नहीं होता।
मिथक: IVF सिर्फ उम्रदराज कपल्स के लिए है।
सत्य: IVF उम्रदराजता को समझने में मदद कर सकती है, लेकिन यह भी किसी भी उम्र के कपल्स के लिए एक विकल्प हो सकता है जो प्राकृतिक रूप से गर्भाधान में समस्या का सामना कर रहे हैं।
मिथक: IVF से कई बच्चे होते हैं और बच्चों की संख्या अधिक होती है।
सत्य: IVF के द्वारा बच्चे की संख्या निर्धारित की जा सकती है। डॉक्टर्स और कपल्स मिलकर योजना बना सकते हैं कि वे कितने बच्चे चाहते हैं और उसी अनुसार उपयुक्त उत्पादन के लिए क्रियान्वयन की गई।
मिथक: IVF के बाद प्राकृतिक रूप से गर्भाधान करना आसान होता है।
सत्य: IVF के बाद भी प्राकृतिक रूप से गर्भाधान करने की संभावना होती है, लेकिन यह हमेशा नहीं होता है। इसके लिए कई कारकों का प्रभाव होता है जैसे कि महिला की आयु, गर्भाशय की स्वास्थ्य और अन्य मेडिकल कारण।
मिथक: IVF के बाद बच्चे में स्वास्थ्य समस्याएँ होती हैं।
सत्य: विशेषज्ञों द्वारा निर्दिष्ट प्रक्रिया के माध्यम से की जाने वाली IVF की प्रक्रिया में यह समाधान किया जाता है कि यह समस्याएँ असंभव हैं।