नारी डेस्कः डिलीवरी के बाद गर्भवती के लिए अगली ड्यूटी नवजात को पालने की होती है। नई मांओं के लिए पहले के 6 महीने काफी मुश्किल भरें होते हैं क्योंकि वह समझ नहीं पाती कि उनके साथ क्या हो रहा है।नवजात शिशु को होने वाली प्रॉब्लम्स के बारे में कई बार नई मांओं को पता नहीं चलता। इन दिक्कतों में होने वाली सबसे आम दिक्कत नवजात के पेट से जुड़ी है क्योंकि नवजात शिशु का पाचन तंत्र इतना मजबूत नहीं होता है जिसके चलते उन्हें आए दिन पेट में दर्द की समस्या होती है। बहुत से बच्चों को कोलिक पेन रहती है जो लगतारा 6 महीने भी बनी रह सकती है। अब मां इस समस्या को कैसे पहचान सकती है चलिए उस बारे में ही आपको बताते हैं।
कैसे पता करें कि शिशु के पेट में दर्द की शिकायत है?
अगर शिशु लगातार रो रहा है या पैर को धनुष के आकार में बार-बार मोड़ रहा है। हर समय गुमसुम रहे या दोपहर के बाद शाम के समय ज्यादा रोए तो आप समझ जाएं कि उसके पेट में मरोड़ या दर्द की शिकायत है।
पेट में मरोड़ होने के कारण
नवजात बच्चे की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है इसलिए स्तनपान करवाने के बाद बच्चे को डकार ना दिलवाने से शिशु को पेट में गैस हो सकती है जिससे उसे दर्द होता है और वह रोने लगता है।
अगर बच्चा लंबे समय से भूखा है तो भी उसके पेट में मरोड़ की समस्या हो सकती है।
अगर शिशु को ज्यादा दूध पिला देंगे तो भी शिशु के पेट मरोड़ की समस्या हो सकती है क्योंकि शिशु को दूध हजम नहीं हो पाता। अक्सर ये समस्या देखने को मिलती हैं।
पेट के मरोड़ से बच्चे को राहत कैसे दें?
अक्सर आपने परिवार की बड़ी बुजुर्ग महिलाओं को टिप्स देते सुना होगा। आप नवजात शिशु के पेट दर्द को दूर करने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे को फॉलो कर सकते हैं।
हींग का लेप
शिशु की गर्भनाल जब पूरी तरह हट जाती है और वह पेट दर्द से रो रहा है तो हल्का गुनगुने पानी में हींग मिक्स कर लेप बना लें और बच्चे की नाभि के आस-पास लगा दें।
अजवाइन की सिंकाई
अजवाइन को तवे पर भूनकर गर्म करके इसे पोटली में डालें और बच्चे के पेट पर सिंकाई करें। ध्यान रहें कि अजवाइन बहुत ज्यादा गर्म भीनहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे स्किन पर जलन होगी। स्तनपान करवाने वाली माएं खुद भी अजवाइन और सौंफ का पानी पीएं। इससे नवजात की पाचन शक्ति ठीक होती है।
सरसों के तेल से मालिश
हल्के हाथ से सरसों के तेल से पेट की मालिश करनी चाहिए। दिन में दो बार आप ऐसा कर सकते हैं।
शिशु की टांगों को साइकिलिंंग मोशन में घुमाएं
नवजात को टांगों से पकड़ कर हलके हाथों से साइकिलिंग मोशन में घुमाना चाहिए। इससे पेट से गैस निकल जाएगी। साइकिलिंंग मोशन में घुमाने का मतलब है बच्चे के दोनों पैरों को हल्के हाथ से पकड़ें और कोमलता के साथ बच्चे के पैर ऐसे घुमाएं जैसे वो साइकिल चला रहा हो। इससे बच्चे को कब्ज भी नहीं होगी।
ध्यान में रखें ये बातें
बच्चे को कंधे से लगाकर डकार दिलवाने की कोशिश करें। गोद में उल्टा लिटाकर हल्के हाथ से उसकी पीठ थपथपाएं। बच्चे को सीमित मात्रा में ही दूध पिलाएं ताकि उसे आसानी से दूध पच जाए ।
पेट दर्द में शिशु को कब डाक्टर के पास ले जाएं?
शिशु को जल्द आराम न मिले तो आपको उसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। आगे बताएं लक्षण भी दिखें तो भी गौर करें
अगर शिशु के मल और उल्टी में खून आने लगे।
बच्चे को सोने और दूध पीने में परेशानी हो।
शिशु को दस्त और बुखार रहे।
दूध हजम ना हो।
बच्चे को सर्दी जुकाम हो गया हो तो क्योंकि फ्लू होने पर भी शिशु को पेट दर्द होने लगता है। कई बार शिशु के श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से में ज्यादा बलगम बनने लगता है जो शिशु के गले से पेट में जाकर उसके पेट को खराब कर सकता है। ऐसे में डॉक्टर संक्रमण के आधार पर ही नवजात का इलाज करता है।