महिलाएं आज हर एक क्षेत्र में अपनी मेहनत से और अपने दम से नाम कमा रही हैं लेकिन वहीं इस बात से भी कोई इंकार नहीं कर सकता है कि महिलाओं पर बहुत सी बाध्यताएं भी लगी हुई हैं। महिलाएं आज भी इस समाज की पुरानी परंपराओं में उलझी हुई हैं। आज भी कईं ऐसी जगह हैं जहां महिलाओं को अंतिम संस्कार में आने की अनुमति नहीं दी जाती है इतना ही नहीं बात अगर पड़ोसी देश नेपाल की करें तो नेपाल में मृत शरीर को महिलाओं द्वारा छूआ जाना अभी भी एक सास्कृतिक निषेध माना जाता है लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी तस्वीरें वायरल हो रही है जिसे देख हर कोई एक बदलते समाज की तस्वीर देख रहा है।
मिसाल पेश कर रहीं नेपाल की महिलाएं
दरअसल समाज की सारी पुरानी परंपराएं तोड़ती हुई नेपाल की महिला सैनिकों ने ऐसा काम कर दिखाया जिसे देख हर कोई उनके जज्बे को सलाम कर रहा है। दरअसल नेपाल की 4 महिला सैनिक कोरोना संक्रमित मरीजों का अंतिम संस्कार कर एक नेक काम कर रही हैं। यह तो हम सब जानते हैं कि कोरोना संक्रमित देह को कोई भी छूने से पहले हजार बार सोचता है लेकिन इन महिलाओं के मन में ऐसा कोई ख्याल नहीं आया।
कोरोना मरीजों का कर रही अंतिम संस्कार
एक वेबसाइट की खबर की मानें तो काठमांडू में चार महिला सैनिक प्रोटेक्टिव गियर में कोरोना से मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार कर रही हैं और समाज में एक नई मिसाल पेश कर रही हैं। हालांकि नेपाल में महिलाओं द्वारा अंतिम संस्कार करना सांस्कृतिक मान्यताओं के खिलाफ माना जाता है लेकिन इन महिलाओं ने इसकी परवाह किए बिना ही इस नेक काम को किया।
नेपाल की महिला सैनिक पहली बार ऐसा काम कर रही हैं
आपको बता दें कि पड़ोसी देश नेपाल में पहली बार महिला सैनिकों द्वारा यह काम किया जा रहा है। इसी पर 25 वर्षीय कार्पोरल रचना कहती है कि उन्हें खुशी है कि उन्हें इस काम के लिए चुना गया है। क्योंकि अभी तक सिर्फ पुरूष ही जाते थे लेकिन अब महिलाओं को यह जिम्मेदारी दी गई जिससे नेपाल के समाज की तस्वीर बदल रही है। कार्पोरल रचना की मानें तो उन्होंने जबसे इस काम को शुरू किया है तबसे ही वह अपने परिवार वालों से मिलने नहीं गई हैं। परिवार की मानें तो वह बहुत ही कठिन और जिम्मेदारी वाला काम कर रही है।
अस्पताल से मृतकों के शव ले जाकर करती हैं अंतिम संस्कार
नेपाल की सैनिक महिलाएं कोरोना मृतकों के शवों को अस्पताल से लाती हैं और उनका अंतिम संस्कार करवाती हैं। वहीं एक महिला सैनिक बताती हैं कि उन्हें खुद पर गर्व होता है कि वह यह नेक काम कर रही हैं। वे बताती हैं कि इस काम को करने के लिए एक तरफ जहां शारीरिक ताकत चाहिए वहीं दिमागी शांति की भी जरूरत होती है।
सच में नेपाल की यह महिला सैनिक अपने इस नेक काम से अलग पहचान कायम कर रही हैं। हम उनके इस जज्बे को सलाम करते हैं।
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