नारी डेस्क: शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में शक्ति स्वरूपा मां भगवती की विधिवत पूजा-अर्चना के बाद कलश की स्थापना की जाती है। कलश स्थापना के समय कलश के चारों ओर जौ बोने की परंपरा है। मान्यता है कि इससे घर-परिवार में सुख, समृद्धि आती है। इतना ही नहीं जौ (जवारे) के रंग का संबंध भविष्य के संकेतों से भी जोड़ा जाता है। विभिन्न रंगों के जौ के अंकुर भविष्य के बारे में अलग-अलग संकेत देते हैं। आइए जानते हैं किस रंग के जौ का क्या अर्थ होता है।
हरा रंग
यदि जौ हरे रंग के उगते हैं, तो इसे शुभ माना जाता है। यह समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य, और सुख-शांति का संकेत होता है। भविष्य में धन और उन्नति के संकेत माने जाते हैं।
पीला रंग
अगर जौ पीले रंग के उगते हैं, तो यह थोड़ा चिंता का विषय हो सकता है। यह संकेत देता है कि आने वाले समय में कुछ कठिनाइयां या चुनौतियां आ सकती हैं। आपको धैर्य और समझदारी से काम लेना होगा।
सफेद या हल्का रंग
सफेद या हल्के रंग के जौ सामान्य भविष्यवाणी का संकेत देते हैं। यह संकेत देता है कि आपके जीवन में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा और स्थितियां सामान्य रहेंगी। यह स्थिरता और शांतिपूर्ण जीवन का प्रतीक है।
मिश्रित रंग
अगर जौ के पौधे अलग-अलग रंगों में उगते हैं, तो यह एक मिश्रित भविष्यवाणी होती है। इसका अर्थ होता है कि आपके जीवन में कुछ अच्छे और कुछ बुरे समय दोनों आ सकते हैं। यह जीवन के उतार-चढ़ाव का प्रतीक होता है।
नोट: नवरात्रि में बोए गए जौ के रंगों को धार्मिक दृष्टिकोण से भविष्य के संकेत माना जाता है। हालांकि, यह पूरी तरह से धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और इसका वैज्ञानिक आधार नहीं है। फिर भी, इस परंपरा के पीछे आस्था और विश्वास का बहुत बड़ा स्थान है, और इसे नवरात्रि के धार्मिक अनुष्ठानों के हिस्से के रूप में श्रद्धापूर्वक निभाया जाता है।