देश में आई कोरोना की दूसरी लहर अब दिन-ब-दिन बेहद भयावह होती जा रही हैं। पिछले 12 दिनों से देश में कोरोना के साढ़े तीन लाख से ज्यादा के केस सामने आ रहे हैं। जिससे कई राज्यों में ऑक्सीजन की किल्लत बढ़ती ही जा रही है। कई राज्यों में हालात ये हैं कि मरीजों को अस्पतालों में बेड तक नसीब नहीं हो पा रहे हैं।
डॉ. राजेंद्र भरुड ने दूसरी लहर की आहट पहले ही समझ ली थी-
वहीं दूसरी ओऱ देश में एक ऐसा भी शहर हैं जहां न तो ऑक्सीजन की कमी है और न ही मरीज़ों के लिए बेडस् की दिक्कत हैं। हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के नंदुरबार ज़िले की। दरअसल, यह कमाल जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र भरुड की मेहनत और सही समय पर लिए गए फैसलों के कारण है। डॉ. राजेंद्र भरुड को सितंबर, 2020 में ही आभास हो गया था कि आने वाला साल 2021 काफी कष्टों भरा हो सकता हैं जिसके लिए उन्होंने हर चुनौती का सामना करने के लिए साल 2020 से ही तैयारियां करनी शुरू कर दी थी।
7,000 से ज्यादा आइसोलेशन बेड्स और 1,300 आईसीयू बेड्स मौजुद-
पिछले साल महज 20 बेड के साथ कोरोना से लड़ाई करने वाले नांदुरबार में अब करीब 1,289 बेड्स, कोविड केयर सेंटरों में 1,117 बेड्स और ग्रामीण अस्पतालों में 5,620 बेड्स मौजुद हैं। इसके अलावा कई स्कूलों, हॉस्टलों और मंदिरों में भी बेड की व्यवस्था की गई है। इतना ही नहीं, जिले में कोरोना महामारी के इस संकट के समय 7,000 से ज्यादा आइसोलेशन बेड्स और 1,300 आईसीयू बेड्स के साथ जिले में एक मजबूत हेल्थकेयर सिस्टम खड़ा है।
नांदुरबार जिले में लगाए जा चुकें है 3 ऑक्सिजन प्लांट
पिछले साल कोरोना काल में दूसरे जिलों पर निर्भर रहने वाला नांदुरबार जिले में आज खुद का ऑक्सीजन प्लांट है। नांदुरबार में जिला विकास निधि और एसडीआरएफ के फंड से 3 ऑक्सिजन प्लांट लगाए जा चुकें है। जहां 3,000 लीटर प्रति मिनट ऑक्सिजन तैयार हो रही है. वही अभी ऑक्सिजन बनाने के लिए लिक्विड टैंक लगाने का भी काम चल रहा है। डॉ. राजेंद्र भरुड की मेहनत को देख राज्य के हेल्थ मिनिस्टर राजेश टोपे, बायोकॉन चेयरपर्सन किरण मजमूदार शॉ, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वरिष्ठ प्रशासक तुकाराम मुंडे तक ने इस कोरोना हीरो की जमकर तारीफ की है। टोपे ने तो पूरे राज्य में नांदुरबार मॉडल को अपनाने की घोषणा की है।
मुंबई के केईएम अस्पताल से एमबीबीएस वाले साल 2013 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ. राजेंद्र भरुड के सही समय पर लिए गए निर्णय के कारण आज नांदुरबार ज़िले में किसी भी मरीज को किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो रही है.