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अगर नहीं रख पा रहे हैं सावन सोमवार का व्रत, तो बस पढ़िए यह पावन कथा - पूरी होगी हर इच्छा

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 07 Jul, 2025 05:04 PM
अगर नहीं रख पा रहे हैं सावन सोमवार का व्रत, तो बस पढ़िए यह पावन कथा - पूरी होगी हर इच्छा

नारी डेस्क:  सावन का महीना भगवान शिव की उपासना के लिए बहुत खास माना जाता है। खासकर सोमवार के दिन व्रत रखकर शिवजी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अगर किसी की कोई मन्नत पूरी नहीं हो रही हो, करियर में रुकावटें आ रही हों या निजी जीवन में परेशानियां हों, तो सावन सोमवार के दिन व्रत रखकर यह व्रत कथा जरूर पढ़नी या सुननी चाहिए।

व्रत कथा की शुरुआत – शिवभक्त साहूकार

बहुत समय पहले की बात है। एक साहूकार था जो भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। उसके पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसे कोई संतान नहीं थी। इसी दुख के कारण वह रोज शिव मंदिर जाकर पूजा करता और दीप जलाता था।

उसकी भक्ति देखकर एक दिन माता पार्वती ने शिवजी से कहा, "प्रभु, यह साहूकार आपका सच्चा भक्त है, इसकी कोई तकलीफ है, कृपया इसे दूर करें।" शिवजी बोले, "यह संतानहीन है और इसी कारण दुखी रहता है, लेकिन इसके भाग्य में संतान योग नहीं है।"

माता पार्वती ने शिवजी से आग्रह किया कि भक्त की मदद जरूर करनी चाहिए। बार-बार विनती करने पर शिवजी ने कहा, "मैं इसे पुत्र प्राप्ति का वरदान देता हूं, लेकिन यह पुत्र केवल 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा।" साहूकार यह सब सुन रहा था, पर वह न दुखी हुआ, न ही खुश। वह पहले की तरह भगवान शिव की पूजा करता रहा।

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कुछ समय बाद उसकी पत्नी गर्भवती हुई और एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। जब बेटा 11 साल का हुआ तो साहूकार की पत्नी ने उसके विवाह की बात कही। साहूकार ने कहा कि वह अभी उसे काशी पढ़ाई के लिए भेजेगा। उसने अपने बेटे के मामा को साथ भेजा और कहा कि रास्ते में यज्ञ करते हुए और ब्राह्मणों को भोजन कराते हुए काशी जाएं।

रास्ते में एक राजकुमारी का विवाह हो रहा था। दूल्हा एक आंख से काना था। जब राजा ने साहूकार के सुंदर बेटे को देखा, तो उसे दूल्हे की जगह बैठाने का विचार आया। मामा को धन देने का वादा किया गया और उन्होंने हां कर दी। विवाह की रस्में साहूकार के बेटे से कराई गईं। जाते समय उसने राजकुमारी की चुनरी पर लिखा – "तेरा विवाह मुझसे हुआ है, जिस व्यक्ति के साथ भेजा जाएगा, वह तो काना है।" इसके बाद मामा-भांजा काशी पहुंच गए। एक दिन यज्ञ के दौरान लड़का बाहर नहीं आया। मामा ने देखा तो लड़के की मृत्यु हो चुकी थी। मामा ने पहले यज्ञ पूरा किया और फिर रोना शुरू किया।

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उसी समय शिव-पार्वती उधर से गुजर रहे थे। माता पार्वती ने जब यह सब देखा तो शिवजी से विनती की कि लड़के को दोबारा जीवनदान दें। शिवजी ने पहले मना किया लेकिन माता के बार-बार कहने पर उसे जीवनदान दे दिया। लड़का “ॐ नमः शिवाय” कहते हुए जीवित हो गया।

वापसी में रास्ते में वही राज्य पड़ा। राजकुमारी ने अपने असली पति को पहचान लिया। राजा ने खुशी-खुशी अपनी बेटी को विदा किया। उधर साहूकार और उसकी पत्नी ने व्रत लिया था कि यदि बेटा सकुशल नहीं लौटा तो वे छत से कूदकर जान दे देंगे। मामा ने आकर बेटे-बहू के लौटने की खबर दी, तब जाकर उन्हें चैन मिला।

रात को साहूकार को स्वप्न में शिवजी के दर्शन हुए। उन्होंने कहा “तुम्हारी भक्ति से मैं प्रसन्न हूं। जो भी व्यक्ति यह कथा सावन सोमवार के दिन व्रत रखकर श्रद्धा से पढ़ेगा या सुनेगा, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी।”

सावन सोमवार की यह पवित्र व्रत कथा बताती है कि सच्ची श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव हर असंभव को भी संभव कर सकते हैं। जो लोग मन से व्रत रखकर यह कथा पढ़ते या सुनते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।  

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