नारी डेस्क: भारतीय वायुसेना में एक नया इतिहास लिखा गया है! स्क्वाड्रन लीडर मोहना सिंह ने स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस में उड़ान भरकर न केवल अपने करियर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया, बल्कि वह '18 फ्लाइंग बुलेट्स' स्क्वाड्रन की पहली महिला पायलट बनकर महिलाओं की भूमिका को और मजबूत कर चुकी हैं। आज हम जानेंगे उनकी प्रेरणादायक यात्रा और इस उपलब्धि के पीछे की कहानी
पहले बैच की सदस्य
मोहना सिंह, भावना कंठ और अवनी चतुर्वेदी भारतीय वायुसेना की पहली महिला फाइटर पायलटों की तिकड़ी का हिस्सा हैं। उन्होंने जून 2016 में भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त किया, जब सरकार ने महिलाओं के लिए फाइटर स्ट्रीम खोलने का निर्णय लिया। यह कदम महिलाओं को लड़ाकू विमानों की उड़ान भरने का अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण था।
स्क्वाड्रन में शामिल होना
मोहना को गुजरात के नलिया में स्थित नंबर 18 'फ्लाइंग बुलेट्स' स्क्वाड्रन सौंपा गया है। इस स्क्वाड्रन का हिस्सा बनने के बाद, उन्होंने अपनी क्षमता को साबित करते हुए तेजस लड़ाकू विमान उड़ाने का गौरव प्राप्त किया। हाल ही में, मोहना ने 'तरंग शक्ति' नामक बहुपक्षीय हवाई युद्ध अभ्यास में भाग लिया। इससे पहले, वह राजस्थान के नाल में स्थित नंबर 3 फाइटर स्क्वाड्रन का हिस्सा थीं, जहां उन्होंने मिग-21 बाइसन विमान उड़ाया। उनका प्रशिक्षण और अनुभव उन्हें वायुसेना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाता है।
प्रेरणा का स्रोत
मोहना सिंह का कार्य न केवल उनके लिए, बल्कि सभी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है। उनकी उपलब्धिया यह दर्शाती हैं कि महिलाए किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं, चाहे वह लड़ाकू विमान उड़ाने का हो या अन्य किसी चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में।
पहले भी कर चुकी हैं कई कमाल
फरवरी 2018 में, अवनी चतुर्वेदी मिग-21 बाइसन उड़ाकर अकेले लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं थी, जिन्होंने भारतीय वायुसेना के जामनगर बेस से उड़ान भरी। हाल ही में, रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि 2022 में शुरू की गई महिला लड़ाकू पायलटों की प्रायोगिक योजना अब स्थायी योजना में बदल गई है। यह कदम और महिलाओं के लिए अवसरों का विस्तार करने में मदद करेगा, और मोहना सिंह जैसी पायलटों के लिए नए दरवाजे खोलेगा।
मोहना सिंह की सफलता भारतीय वायुसेना में महिलाओं की प्रगति को दर्शाती है। उनकी उपलब्धिया न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्षों का परिणाम हैं, बल्कि यह एक नया उदाहरण भी प्रस्तुत करती हैं कि महिलाए किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं और अपनी पहचान बना सकती हैं।