मेनोपॉज का मतलब होता है 'मासिक धर्म की समाप्ति।' इसमें महिलाओं को पीरियड्स आनी बंद हो जाती हैं। ज्यादातर महिलाएं 45- 55 साल की उम्र में इस प्रोसेस से गुजरती हैं। इस दौरान महिलाएं मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित होती हैं। मानसिक स्वास्थ्य में महिलाओं को जहां तनाव, चिंता, डिप्रेशन, मूड स्विंग और एंग्जाइटी आदि से जूझना पड़ता है। वहीं शारीरिक समस्याओं में हॉट फ्लैशेस और वजन बढ़ना जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि बहुत से महिलाएं मेनोपोज के लक्षणों और इसके हेल्थ पर पड़ते असर को नजरअंदाज करती हैं। Menoveda ने हाल ही में इसको लेकर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया कि भारत में अक्सर मेनोपॉज को नजरअंदाज किया जाता है। मेनोवेदा की सह- संस्थापक तमन्ना सिंह मेनोपॉज की गहन प्रदान करती हैं और 40- 55 साल की महिलाओं जो मेनोपॉज की पीड़ा से गुजर रही हैं उनके अनुभव और कठिनाइयों पर प्रकाश डालती हैं।
भारत में किया जाता है मेनोपॉज को नजरअंदाज
मेनोवेडा महिलाओं की मेनोपॉज के दौरान पीड़ा और परिवार वालों, दोस्तों, समाज का इससे जुड़े व्यवहार पर प्रकाश डालता है। रिपोर्ट की कुछ चीजें बहुत ही चौंकाने वाली है। आइए आप भी डालिए इस पर एक नजर...
1. सर्व में शामिल 98.5% को मेनोपॉज के बारे में जानकारी है और वो इस विषय में गहरी रुचि भी रखती हैं।
2.67% मेनोपॉज के 3 स्टेज के नाम नहीं बता पाई।
3.81.4 % मेनोपॉज का प्रोसेस की अविध से अनजान हैं।
4. 52 % महिलाएं मेनपॉज के केवल 10 लक्षण तक बता पाईं।
5.78 % महिलाएं को मेनोपॉज के दौरान निराशा और unimportant महसूस होता है।
6.88.9% महिलाएं मेनोपॉज के लिए बाजार में मिलते समाधानों से फिलहाल खुश नहीं है।
7. 79% महिलाओं की फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर मेनोपॉज असर डालता है।
जैसे की हमने आपको मेनोपॉज के लक्षणों के बारे में बताया। ये काफी हद तक शारीरिक और मानसिक पीड़ा देने वाले होते हैं। लेकिन फिर भी 78% महिलाएं counselling की मदद नहीं लेती हैं। वहीं स्टडी में इस बात का भी खुलासा हुआ की 72% महिलाएं जहां मेनोपॉज के बारे में खुलकर बात कर लेती हैं, वहीं 63% का मानना है कि मेनोपॉज से जुड़ी समस्या वो समझ नहीं पा रही हैं। इससे पता चलता है कि महिलाएं मेनोपॉज के बारे में एक तो ज्यादा खुद ही नहीं जानती और ना ही अपने मानसिक और शारीरिक हेल्थ को मेनोपॉज के बाद ठीक करने के लिए कुछ करती हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि मेनोपॉज के मैनेज करने के कुछ तरीके...
- मेनोपॉज में महिलाओं को तनाव से जूझना पड़ता है। इस अवस्था में वे डिप्रेशन और एंग्जाइटी का शिकार होने लगती है। ऐसे में कोगनीटिव बिहेवियर थरेपी लेना फायदेमंद हो सकता है। इससे तनाव और डिप्रेशन को मैनेज करने में मदद मिलती है।
- योनि में सूखापन या रात में पसीना आने जैसी दिक्कतें हैं तो आप हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ले सकती हैं।
- मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने के लिए प्राणायाम और योग करना एक अच्छा विकल्प होता है। इससे मन को शांति मिलती है।
- रोजाना एक्सरसाइज करने से भी मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। इससे वजन कंट्रोल में रहता है।
- अगर आप भी मेनोपॉज की अवस्था में आ चुकी हैं, तो आपको अपने सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। आपको ज्यादा तकलीफ महसूस हो तो एक्सपर्ट से मिल लें।