भारत में ब्रेस्ट कैंसर के मामले 20 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहे हैं। भारत में हर 10 में एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित है और आए दिन इन मामलों में तेजी से इफाजा हो रहा है। स्तन में गड्ढे, निशान या फिर निप्पल के स्थान में बदलाव कैंसर के लक्षण हो सकते हैं, लेकिन क्या आप ये जानते हैं ये सभी लक्षण महिलाओं के अलावा पुरुषों में भी देखे जा सकते हैं। जी हां महिलाओं की तरह पुरुषों में भी ब्रेस्ट टिश्यू होते हैं और उनमें भी कैंसर के मामले दिख सकते हैं।
लोगों को इस बारे में कम जानकारी
अभी तक तो यही सोचा जाता था कि सिर्फ महिलाएं ही इस बिमारी को झेल रही हैं। आंकड़े को देखें तो हर साल एक प्रतिशत से भी कम पुरुषों को स्तन कैंसर होता है। डॉक्टरों का कहना है स्तन कैंसर पुरुषों में ब्रेस्ट के नॉन-फंक्शनल मिल्क डक्ट्स, ग्लैंड्स और अन्य टिश्यू में विकसित हो सकता है, लंकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों को इस बारे में जानकारी ही नहीं है। पुरुषों के ब्रेस्ट टिश्यू में गांठ या दर्द होने की आशंका कम होने के चलते आखिरी स्टेज पर इसका पता चलता है, जो घातक साबित होता है।
ब्रेस्ट कैंसर के कारण
- रेडिएशन थेरेपी के बाद बढ़ सकता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा
- परिवार में ब्रेस्ट कैंसर की हिस्ट्री है तो इस बीमारी की संभावना ज्यादा
- लाइफस्टाइल या कुछ जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से भी हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर
- मोटापा, टेस्टीक्यूलर डिसऑर्डर, जेनेटिक फैक्टर, हार्मोनल इम्बैलेंस भी इसका मुख्य कारण
पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
- ब्रेस्ट पर पपड़ी जम जाना।
- ब्रेस्ट के आकार में बदलाव और दर्द होना
- निप्पल का बड़ा, सिकुड़ना या लाल होना।
- निप्पल का अंदर की तरफ मुड़ जाना।
- ब्रेस्ट में किसी तरह का घाव होना।
- आर्मपिट और ब्रेस्ट के आसपास सूजन होना।
- निप्पल डिस्चार्ज ।
- स्किन में खुजली होना।
ब्रेस्ट कैंसर का इलाज
सर्जरी के जरिए इसका इलाज किया जा सकता है। सर्जरी में ट्यूमर और स्तन के आसपास के ऊतकों को बाहर निकाला जाता है। इसके अलावा आज के दौर में कई बीमारियों के लिए रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। इस थेरेपी में एक्स-रे और प्रोटॉन की किरणों का उपयोग किया जाता है। इस थेरेपी का इस्तेमाल सर्जरी के बाद भी कई बार किया जाता है।अधिकतर कैंसर रोगियों का इलाज कीमोथेरेपी के जरिए किया जाता है। कीमोथेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को मारने की दवा दी जाती है। इन कोशिकाओं को मारने के लिए मरीज के बांह की नसों में दवाईयां डाली जाती हैं।