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आज से शुरू हो रहे महालक्ष्मी व्रत, जानें पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

  • Edited By neetu,
  • Updated: 13 Sep, 2021 11:24 AM
आज से शुरू हो रहे महालक्ष्मी व्रत, जानें पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

हर साल भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी से पितृ पक्ष में आश्विन कृष्ण अष्टमी तक धन की देवी महालक्ष्मी के व्रत रखे जाते हैं। ये रहस्यमयी व्रत माने जाते हैं। इन्हें पूरे 16 दिनों तक रखा जाता है। इस साल ये व्रत 13 सितंबर से आरंभ होकर 28 सितंबर तक रखें जाएंगे। मान्यता है कि इन व्रत को रखने से देवी मां की असीम कृपा होती है। घर में सुख-समृद्धि, खुशहाली का वास होता है। वहीं जो लोग पूरे 16 दिनों तक व्रत नहीं रख सकते हैं वे अष्टमी, पूर्णिमा और फिर अष्टमी 3 दिन का व्रत रख सकती है। इसी दिन राधा अष्टमी यानि राधा रानी का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। साथ ही व्रत भी रखा जाता है। चलिए जानते हैं महालक्ष्मी का आरंभ का शुभ मुहूर्त व पूजा विधि...

महालक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

महालक्ष्मी व्रत तिथि आरंभ- 13 सितंबर 2021, दिन सोमवार, दोपहर 03:10 मिनट से
महालक्ष्मी व्रत तिथि समाप्न- 14 सितंबर 2021, दिन मंगलवार दोपहर 01:09 बजे
मगर इसकी उदल कालीन तिथि 14 सितंबर है तो व्रत इसी दिन यानि मंगलवार से रखें जाएंगे।

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पूजा का शुभ मुहूर्त

16 दिनों तक चलने वाले इन व्रत की पूजा सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या मध्यान्ह 11:30 से 12:30 तक अभिजीत मुहूर्त में करें। इन व्रत का उद्यापन आश्विन कृष्ण अष्टमी को होगा। यह दिन 28 सितंबर को पड़ रही है।

व्रत की पूजा विधि

. वैसे तो लक्ष्मी माता को शुक्रवार का दिन समर्पित होता है। ऐसे में उनके व्रत इसी दिन रखें जाते हैं। मगर हर साल महालक्ष्मी की आराधना का पक्ष इसे होता है जो महालक्ष्मी पक्ष कहलाता है। इस दौरान विधि-विधान से लक्ष्मी मां की पूजा व व्रत रखने का नियम है।

ऐसे करें पूजा

. सुबह उठकर नहाकर साफ कपड़े पहनें।
. देवी मां की पूजा व व्रत पति-पत्नि दोनों रख सकते हैं।
. अब घर के मंदिर को साफ करके उसके आसपास लकड़ी के पटरे या चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
. फिर कलश में पानी भरकर उसपर कलावा बांधकर चौकी पर रखें।
. अब कलश पर 8 आम के पत्ते रखकर ऊपर कच्चा नारियल रख दें।
. देवी मां की मूर्ति स्थापित करें।
. महालक्ष्मी के मंत्रों का जप करें।
. इन पावन दिनों में अष्ट सिद्धियों की पूजा लक्ष्मी के रूप में की जाती है।
. पूजा के बाद आरती करें।
. रोजाना माता रानी को सफेद मिठाई, मिश्री, पंचमेवा, किशमिश, खीर आदि का भोग अर्पित करें।
. श्री सूक्त का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।
. इसके साथ देवी मां के अष्ट लक्ष्मी के मंत्र ओम् कामलक्ष्म्यैनमः। ओम् आद्यलक्ष्म्यै नमः। ओम् सत्यलक्ष्म्यै नमः। ओम् योगलक्ष्म्यै नमः। ओम भोगलक्ष्म्यै नमः। ओम् विद्यालक्ष्म्यै नमः। ओम् अमृतलक्ष्म्यै नमः। ओम् सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः। मंत्रों का रोजाना जप करें।

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ऐसे करें उद्यापन

इस 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन आश्विन कृष्ण अष्टमी को किया जाता है। इस बार यह तिथि 28 सितंबर दिन मंगलवार को होगी।

. शाम के समय देवी माता की पूजा व आरती करके भोग लगाएं। फिर सफेद मिष्ठान्न, खीर, किशमिश आदि चीजें बनाकर किसी सौभाग्यशाली महिला को खिलाएं। साथ ही उन्हें सुंदर वस्त्र,साड़ी, श्रृंगार सामग्री देकर महालक्ष्मी व्रत का समापन करें।

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