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भगवान शिव ने दिया था मां महागौरी को गौर वर्ण, जानिए देवी दुर्गा के आठवें स्वरुप की कथा

  • Edited By palak,
  • Updated: 15 Apr, 2024 06:14 PM
भगवान शिव ने दिया था मां महागौरी को गौर वर्ण, जानिए देवी दुर्गा के आठवें स्वरुप की कथा

इन दिनों चैत्र नवरात्रि धूमधाम के साथ मनाए जा रहे हैं। नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। वहीं नवरात्रि का आठवां और नौंवा दिन बहुत ही खास माना जाता है। आठवें दिन मां महागौरी की पूजा होती है। मां महागौरी को देवी दुर्गा का आठवां स्वरुप माना जाता है। देवी महागौरी का रंग बिल्कुल गौरा और उनकी चार भुजाएं है। तो चलिए आज आपको बताते हैं कि आठवें दिन देवी की पूजा करने की विधि क्या है। 

ऐसा है मां का स्वरुप 

मां के स्वरुप की बात करें तो देवी ने सफेद वस्त्र और आभूषण धारण किए हुए हैं, इसलिए मां को सफेद रंग अतिप्रिय है। पूजा में भी मां को सफेद चीजें ही अर्पित की जाती है। सफेद रंग प्रिय होने के कारण देवी को श्वेताम्बरधरा भी कहते हैं। मां का वाहन वृषभ है और इनकी चार भुजाएं हैं। ऊपर वाले दाहिने हाथ में देवी के अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में मां ने डमरु धारण किया हुआ है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्राा है। मां की पूरी मुद्रा बहुत शांत है। 

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मां महागौरी की कथा 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां महागौरी ने भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या के दौरान मां हजारों सालों तक निराहार रही थी। ऐसे में तपस्या के कारण देवी का शरीर काला पड़ गया था। जब मां की कठोर तपस्या से शिवजी प्रसन्न हुए तो उन्होंने मां को पत्नी के तौर पर स्वीकार किया और शरीर को पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया। इसके कारण देवी का काला रंग गौर वर्ण जैसा हो गया था। इसके बाद से मां पार्वती के इस स्वरुप को महागौरी के नाम से जाना जाता है। 

शादी में आ रही समस्याएं होती हैं दूर 

मां महागौरी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन के कष्ट दूर होते हैं। साथ ही सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यताओं के अनुसार, देवी महागौरी ने भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। ऐसे में मां की पूजा करने से जिन जातकों के विवाह में समस्याएं आती हैं वह दूर हो जाती हैं।

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ऐसे करें पूजा 

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें। फिर मां की प्रतिमा को गंगाजल के साथ स्नान करवाएं। साथ ही मां को सफेद वस्त्र धारण करें। मां को सफेद रंग बहुत प्रिय है ऐसे में इस दिन देवी को सफेद फूल अर्पित करने चाहिए। साथ ही इस दिन मां को रोली और कुमकुम लगाएं। इसके बाद मां को काला चना और हलवे का भोग अर्पित करें। 

देवी का प्रिय भोग 

मां का स्वरुप बहुत ही शांत है। मां बैल की सवारी करती हैं। इस दिन देवी को नारियल से बनी मिठाई भोग के तौर पर अर्पित करनी चाहिए।

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