नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। वहीं नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी का होता है। मां के द्वारा धारण किए हुए वस्त्र और आभूषण दोनों सफेद हैं इसलिए इन्हें श्वेताम्बरा भी कहते हैं। मां की 4 भुजाएं और मां का वाहन बैल है। इसलिए मां को वृषारुढ़ा भी कहते हैं। मां के इस स्वरुप की पूजा करने से हर संभव कार्य पूरा होता है। इस दिन ज्यादातर घरों में कन्या पूजन भी किया जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं पूजा विधि, कथा और मां का प्रिय भोग...
ऐसा है मां का स्वरुप
मां का स्वरुप बहुत ही उज्जवल कोमल, श्वेत वर्ण और श्वेत वस्त्रधारी है। मां महागौरी का रंग गोरा है और इनकी चार भुजाएं हैं मां बेल पर सवारी करती है। देवी दुर्गा का यह स्वरुप शांत और दृष्टिगत है। मां के दाहिने हाथ में अभयमुद्रा, नीचे वाले हाथ में भक्ति का प्रतीक त्रिशुल, बाएं हाथ में भगवान शिव का प्रिय डमरु और नीचे वाले हाथ भक्तों को वरदान दे रहा है। मां की पूजा करने से जीवन के कष्ट भी दूर होते हैं।
कैसे करें मां की पूजा
सुबह स्नान करके चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं। इसके बाद यहां पर मां महागौरी का चित्र और यंत्र रखें। चित्र को गंगाजल से स्नान करवाएं और सफेद रंग के कपड़े मां को अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां का प्रिय रंग सफेद है। इसके बाद मां को सफेद फूल चढ़ाएं। इसकेबाद मां का रोली, कुमकुम लगाएं। मिष्ठान, पंच मेवा, फल मां को अर्पित करें। अष्टमी के दिन मां को काले चने का भोग लगाएं। इस दिन कन्या पूजन का खास महत्व होता है। इसलिए इस दिन कन्या पूजन जरुर करें।
मां महागौरी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने तपस्या के दौरान सिर्फ कंदमूल फल और पत्तों का सेवन करके अपना जीवन व्यतीत किया था। बाद में मां सिर्फ पानी और हवा पीकर ही तप करती थी। तपस्या से मां पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ और उनका नाम महागौरी पड़ा। मां की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें गंगा में स्नान करने के लिए कहा। जिस समय मां पार्वती गंगा में स्नान करने गई तब देवी का एक स्वरुप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुआ जो कौशिकी कहलाया और एक स्वरुप मां का उज्जवल चंद्रमा के समान प्रकट हुआ जो महागौरी कहलाया।
मां को लगाएं इस चीज का भोग
मां को सफेद चीजों को भोग लगाना शुभ माना जाता है। सफेद चीजों के अलावा मां को नारियल का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है।