सूर्य की रोशनी से मिलने वाले विटामिन डी की सबसे ज्यादा कमी महिलाओं में होती है। जो लोग शारीरिक काम कम करते हैं वे भी इसकी कमी के अधिक शिकार होते है। एक नए शोध में पाया गया है कि तीन में से एक व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी की कमी है।
विटामिन डी की कमी का असर
विटामिन डी वसा में घुलनशील विटामिन का समूह है। यह शरीर में कैल्शियम तथा फॉस्फेट की मात्रा को बढ़ाता है। विटामिन डी की कमी से हड्डियों की कमजोरी, दिल से जुड़े रोग, ऑस्टोपोरेसिस, मांसपेशियों में कमजोरी, कैंसर और टाइप 2 का मधुमेह जैसी बीमारियां पनप सकती हैं।
अस्थमा और हार्ट अटैक
विटामिन डी की कमी से अस्थमा हो सकता है। विटामिन डी सूजन पैदा करने वाले प्रोटीन को फेफड़ों से दूर रखने का काम करता है। अगर इस विटामिन की कमी होती है तो सूजन बढ़ने लगती है और अस्थमा की दिक्कत हो सकती है। विटामिन डी की कमी से ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा होता है। विटामिन डी की कमी से हार्ट अटैक तक आ सकता है।
डायबिटीज का खतरा
मोटापे के साथ-साथ विटामिन डी की कमी से भी डायबिटीज हो सकता है। मोटापे और विटामिन डी की प्रॉबल्म्स एकसाथ हो जाए तो शरीर में इंसुलिन की मात्रा को असंतुलित करने वाली इस बीमारी के होने का खतरा और भी बढ़ जाता है।
एनीमिया
शरीर में विटामिन डी की कमी आपके बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। बच्चों में लंबे समय तक विटामिन डी की कमी बने रहना एनीमिया रोग का कारण हो सकता है। खुन में विटामिन डी 30 नैनो ग्राम प्रति मिली लीटर से कम होने पर बच्चों के एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है।
दिमाग पर असर
विटामिन डी की कमी न सिर्फ हेल्दी बॉडी के लिए जरुरी होती है, साथ ही साथ यह आपके दिमाग पर भी असर डाल सकता है। विटामिन डी दिमाग में केमिकल सेरोटोनिन तथा डोपामिन बनाने में अहम भूमिका निभाता है। हेल्दी ब्रेन के लिए शरीर में विटामिन डी का स्तर ठीक होना चाहिए।
मोटापा
विटामिन डी की कमी से मोटापा भी बढ़ने लगता है। विटामिन डी की मात्रा और शरीर में मोटापे के सूचक बॉडी मास इंडेक्स, कमर का आकार और स्कीन फोल्ड रेशीओं में गहरा संबंध है। जिन महिलाओं में विटामिन डी की कमी थी, उनमें विटामिन डी की मात्रा अधिक होने वालो की अपेक्षाकृत मोटापा तेजी से बढता है।
सूजन- जलन और कोलेस्ट्रॉल का बनना
विटामिन डी की कमी से शरीर में सूजन होने लगती है। जब शरीर को धूप नहीं मिलती तो विटामिन डी बनाने वाले तत्व कोलेस्ट्रॉल में बदल जाते हैं। विटामिन डी का स्तर कम होने से इम्यून सिस्टम तेजी से कम होने लगता है। इससे सर्दी व जुकाम और संक्रमण और बीमारियों की शिकायत बढ़ जाती है।
टीबी, निमोनिया, कैंसर का खतरा
विटमिन डी की कमी से टीबी का खतरा भी बढ़ जाता है। जिन लोगों में ब्लड में विटामिन डी के स्तर की कमी पाई जाती है उन लोगों को निमोनिया का खतरा होता है। दुनिया भर में तकरीबन एक अरब लोग विटामिन डी की कमी से ग्रस्त हैं।विटामिन डी की कमी वीडीआर (विटामिन डी रिसेप्टर) के जरिए हमारे डीएनए पर प्रभाव डालती है और यह कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकती है।