भारत में स्थापित हर मंदिर के पीछे कोई धार्मिक मान्यता जुड़ी है। इसी में कश्मीर में एक ऐसा मंदिर है, जिस कुंड का पानी कोई मुसीबत आने से पहले अपना रंग बदल देता है। इसतरह लोग पहले ही आने वाली परेशानी को लेकर सचेत हो जाते हैं। देवी मां के इस मंदिर का नाम 'खीर भवानी' है। तो चलिए जानते हैं इस मंदिर के बारे में विस्तार से...
तुल्ला मुल्ला गांव में स्थापित देवी का मंदिर
देवी मां का यह श्रीनगर से करीब 27 किलोमीटर दूरी पर तुल्ला मुल्ला गांव में स्थापित है। मान्यता है कि यहां पर बने कुंड का रंग बदलना आगे वाले संकट की ओर इशारा करता है।
रावण के कृत्य से नाराज होकर देवी कश्मीर में बस गई
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी खीर भावनी पहले लंका में रहती है। साथ ही लंका पति रावण माता का अटूट भक्त था। मगर रावण द्वारा सीता माता का हरण करने में देवी मां ने उससे नाराज होकर लंका छोड़ दी।
हनुमान जी ने हटाई थी लंका से देवी की मूर्ति
मान्यता है कि रावण द्वारा देवी सीता का अपहरण करने पर देवी मां उनसे नाराज हो गई थी। ऐसे में उन्होंने हनुमान जी को उनकी मूर्ति लंका की हटा कर कहीं और स्थापित करने को कहा। फिर हनुमान जी ने उनकी मूर्ति कश्मीर के स्थापित कर दी।
चमत्कारिक कुंड से होता है संकट का आभास
कहा जाता है कि यहां पर एक चमत्कारी कुंड या झरना है। इसकी खासियत है कि कोई मुसीबत या कोई शुभ होने से पहले इसके पानी का रंग बदल जाता है। पानी का लाल या काला मुसीबत और हरा रंग खुशहाली और तरक्की की ओर इशारा करता है। ऐसे में दूर-दूर से लोग इस मंदिर में माता के दर्शन व कुंड को देखने आते हैं। माना जाता है कि कारगिल युद्ध के समय कुंड का पानी लाल रंग में बदल गया था। साथ ही कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने पर इसका पानी हरा हो गया था।
खीर के भोग से मिलती है माता की कृपा
देवी मां को प्रसन्न करने व उनकी कृपा पाने के लिए लोग उन्हें खीर का भोग लगाते हैं। साथ ही लोगों को भी खीर का प्रसाद दिया जाता है।