हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस साल ये पर्व 1 नवंबर को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन कुछ वास्तु नियमों का पालन करें तो सुहागिन महिलाओं की सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी। वहीं मैरिड लाइफ में भी सुख- समृद्धि आती है। बस करवाचौथ की पूजा में ये स्पेशल वास्तु टिप्स अपना लें...
सरगी खाते समय इस दिशा में बैठें
करवाचौथ के दिन सुबह सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण कर लेना चाहिए। सरगी को दक्षिण दिशा में मुख करके ग्रहण करना फलदायी माना जाता है।
पूजा की थाली में रखें ये चीजें
पूजा की थाली तैयार करते वक्त उसमें कलश या करवे का रंग लाल होना चाहिए और कलश पर कलावा जरूर बांधें। थाली में चलनी, घी का दीपक, फूल, हल्दी, चंदन, मिठाई, शहद, चावल, कुमकुम, ड्राई फ्रूट्स और पानी से भरा ग्लास रखें।
करवाचौथ की पूजा करते हुए रखें दिशा का ध्यान
मान्यता है कि दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करवाचौथ की पूजा नहीं करनी चाहिए। पूजा करते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। घर के मंदिर में करवाचौथ की पूजा करना शुभ माना जाता है।
करवाचौथ व्रत कथा
वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार करवाचौथ की व्रत कथा सुनते समय मुख उत्तर- पूर्व या पूर्व दिशा में रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से पति- पत्नी के बीच का मनमुटाव दूर होता है और मैरिड लाइफ में खुशहाली आती है।
चंद्रदेव को अर्घ्य देने की दिशा
करवाचौथ के दिन चांद निकलने के बाद उत्तर- पश्चिम दिशा में मुख करके चंद्रदेव तो अर्घ्य दें। ये चंद्रमा की दिशा मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में सुख- शांति बनी रहती है।