नारी डेस्क: हिंदू धर्म में करवा चौथ साल की सबसे बड़ी चतुर्थी और महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। करवा चौथ पर महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। ज्योतिषियों का मानना है कि अगर व्रत का उद्यापन नहीं किया जाता है तो वह अधूरा माना जाता है। ऐसे में करवा चौथ व्रत का उद्यापन भी महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि महिला आगे करवा चौथ का व्रत नहीं करेगी, बल्कि यह पूजा विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है। आइए जानते हैं इसकी पूरी प्रक्रिया
करवा चौथ उद्यापन कब किया जाता है?
उद्यापन आमतौर पर शादी के 5, 7, 11, 16 या 21 वर्षों के बाद किया जाता है। इसे करने का सही समय व्रत रखने वाली महिला की इच्छा और पारिवारिक परंपराओं पर निर्भर करता है। यह व्रत की समाप्ति की तरह नहीं, बल्कि एक विशेष पूजा होती है। यदि किसी महिला के परिवार में पहले से कोई परंपरा हो, तो वह उस परंपरा के अनुसार समय तय कर सकती है।
करवा चौथ उद्यापन की प्रक्रिया
सामग्री की तैयारी: पूजा के लिए सभी आवश्यक सामग्री तैयार करें जैसे कि करवा, मिट्टी या पीतल का दीपक, पान, सुपारी, रोली, चावल, मिठाई, चूड़ियाँ, साड़ी, और अन्य पूजन सामग्री। 13 सुहागिनों के लिए 13 करवे, साड़ी या वस्त्र, बिंदी, चूड़ियां, कुमकुम, और मिठाई या अन्य प्रसाद तैयार करें। 13 या 7 सुहागिन महिलाओं को उद्यापन के लिए आमंत्रित करें। इन्हें वस्त्र, श्रृंगार का सामान और प्रसाद भेंट किया जाता है।
व्रत कथा का वाचन
उद्यापन के दिन व्रती महिला करवा चौथ की कथा सुनती है, जैसे वह हर साल करती है। कथा के दौरान करवा चौथ की कथा का महत्व बताया जाता है और करवा माता की पूजा की जाती है। 13 करवों में पानी भरकर और उनमें पूजा की सामग्री रखकर करवा माता की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान महिलाओं को सिंदूर, चूड़ियाँ, कुमकुम और अन्य श्रृंगार सामग्री अर्पित की जाती है।13 सुहागिनों को वस्त्र, श्रृंगार सामग्री और करवा भेंट किए जाते हैं। यह भेंट सुहागिन महिलाओं को दी जाती है, और उन्हें आशीर्वाद देने के लिए कहा जाता है।
अन्न और मिठाई का वितरण
पूजा के बाद, प्रसाद के रूप में अन्न और मिठाई वितरित की जाती है। इसे पूजा के बाद सभी महिलाएं और परिवारजन ग्रहण करते हैं। पूजा और उद्यापन समाप्त होने के बाद सात्विक भोजन का आयोजन होता है, जिसमें व्रती महिला और परिवार के लोग भाग लेते हैं।
इस बात का रखें ध्यान
उद्यापन के दौरान व्रती महिला को पूरे नियम और संयम के साथ व्रत रखना होता है, जैसा वह हर साल करती है। सुहागिन महिलाओं से आशीर्वाद लेना इस प्रक्रिया का मुख्य हिस्सा होता है, जिससे व्रती महिला के सुहाग की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि की कामना की जाती है। करवा चौथ उद्यापन एक धार्मिक अनुष्ठान है, जो परिवार की समृद्धि और पति की लंबी उम्र के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम है।