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DY चंद्रचूड़ ने की बेटियों की इच्छा पूरी, सुप्रीम कोर्ट में लाकर दिखाया कोटरुम का एक-एक कोना

  • Edited By palak,
  • Updated: 02 Apr, 2023 11:00 AM
DY चंद्रचूड़ ने की बेटियों की इच्छा पूरी, सुप्रीम कोर्ट में लाकर दिखाया कोटरुम का एक-एक कोना

भारत के 50वें न्यायाधीय धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ के द्वारा लिए गए फैसलों की अक्सर चर्चा होती है। चंद्रचूड़ अपने काम के साथ-साथ परिवार वालों के साथ भी काफी करीब हैं। कुछ समय पहले चीफ जस्टिस ने अपनी दोनों बेटियों माही और प्रियंका को दफ्तर की सैर करवाई थी। न्यायाधीश ने बेटियों को कोर्टरुम कॉरिडोर और लाइब्रेरी भी दिखाई। इसके अलावा चंद्रचूड़ ने बेटियों को वह सारी जगहों को सैर करवाई जहां वकील बहस करते हैं। आपको बता दें कि न्यायाधीश की दोनों बेटियां प्रियंका और माही स्पेशल चाइल्ड हैं। उनकी पत्नी कल्पना दास और उन्होंने बच्चियों को गोद लिया है। 

करवाई पूरे कोर्ट रुम की सैर

चीफ जस्टिस ने इस दौरान अपनी बेटियों को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में उनका काम क्या है और वह वहां पर कैसे बैठते हैं। न्यायाधीश की बेटी माही 16 साल की प्रियंका 20 साल की हैं। इस दौरान बेटियों को रुम नंबर-1 के सीजीआई कोर्ट में भी ले गए। वहां उन्होंने अपनी बेटियों को दिखाया कि सुप्रीम कोर्ट में किस तरह होता है। इस दौरान उन्होंने बेटियों को यह भी दिखाया कि जज कहां बैठते हैं।

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सुप्रीम कोर्ट देखना चाहती थी बेटियां 

खबरों की मानें तो न्यायाधीश अपनी बेटियों को इसलिए सुप्रीम कोर्ट लेकर गए थे क्योंकि वह दोनों सुप्रीम कोर्ट देखना चाहती थी।

कौन है डीवाई चंद्रचूड़ ?

आपको बता दें कि चंद्रचूड़ भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ के बेटे हैं। वाई वी चंद्रचूड़ ने साल 1978 से 1985 सात साल तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। यह उनका अबतक का सबसे लंबा कार्यकाल है। डाई वाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए किया है। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय ने एलएलबी की और बाद में एलएलएम की डिग्री और न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट के लिए वह हार्वर्ड के लॉ स्कूल में गए थे। 1998 से 2000 तक चंद्रचूंड़ को एनडीए सरकार ने भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रुप में चुना था। 29 मार्च 2000 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रुप में नियुक्ति तक वह इसी पद पर रहे। 13, मई 2016 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रुप में नियुक्त किया गया था।

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'प्रगतिशील चीफ जस्टिस' के नाम से भी जाने जाते हैं चंद्रचूड़ 

डी वाई चंद्रचूड़ को 'प्रगतिशील चीफ जस्टिस' के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने ऐसे कई फैसले किए हैं जो समाज के एक बड़े वर्ग को आसानी से स्वीकार नहीं थे। इसके अलावा वह उस बेंच का भी हिस्सा थे जिसने आईपीसी की धारा 377 को खत्म किया था। यह कानून समलैंगिक संबंधों को अपराध मानता था। इसके अलावा चंद्रचूड़ ने सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने जैसे फैसले भी दिखे। 

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