नारी डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को बॉलीवुड अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज की ओर से दलीलें सुनीं। उन्होंने 200 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र को चुनौती दी है। एक्ट्रेस का कहना है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल नहीं थीं। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उन्हें मिले उपहार कथित अपराध की आय का हिस्सा थे।
न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने सुनवाई के दौरान एक सवाल उठाया- "क्या किसी एडल्ट पर्सन पर यह जानने का दायित्व है कि उसे उपहार किस स्रोत से मिला है।" वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल प्रशांत पाटिल और शक्ति पांडे के साथ जैकलीन फर्नांडीज की ओर से पेश हुए। उन्होंने तर्क दिया कि एक्ट्रेस को नहीं पता था कि उन्हें मिले उपहार अपराध की आय का हिस्सा थे। उन्हें नहीं पता था कि सुकेश चंद्रशेखर से मिले उपहार अदिति सिंह से कथित रूप से जबरन वसूली गई राशि से खरीदे गए थे।
वरिष्ठ वकील ने तर्क देते हुए कहा- उनकी ओर से चूक हुई थी, लेकिन यह कोई अवैध चूक नहीं थी। इसलिए कानून में कार्रवाई योग्य नहीं है। ईडी ने आरोप लगाया है कि जैकलीन ने सुकेश चंद्रशेखर के बारे में अखबार के लेख की पुष्टि नहीं की। उन्हें सुकेश से उपहार मिले। यह प्रस्तुत किया गया कि जैकलीन फर्नांडीज को फरवरी 2019 में अखबार का लेख मिला था, लेकिन अखबार का लेख सबूत नहीं है। यह भी दावा किया गया कि सुकेश के उच्च राजनीतिक संबंध हैं और वह एक राजनीतिक फिक्सर है। उसे गृह मंत्रालय कार्यालय से कॉल आते थे। जैकलीन को उसके राजनीतिक संबंधों के लिए बलि का बकरा बनाया गया।
यह भी प्रस्तुत किया गया कि अखबार के लेख को देखने के बाद, जैकलीन ने सुकेश चंद्रशेखर के साथ संचार बंद कर दिया था। हालाँकि, उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि प्राप्त उपहार अपराध की आय का हिस्सा थे। वह मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल नहीं थी। बता दें, जैकलीन फर्नांडीज पर भी जबरन वसूली रैकेट की आय का उपयोग करके खरीदे गए उपहारों का उपयोग करने का आरोप लगा है। हालांकि, एक्ट्रेस शुरू से ही घोटाले में किसी भी तरह से खुद के शामिल होने से इनकार करती आई है।