मां बनना किसी वरदान से कम नहीं है लेकिन यह महिलाओं के लिए तब अभिशाप बन जाता है जब वो किसी कारण इस सुख से वंचित रह जाती है। ऐसे में आईवीएफ (In Vitro Fertilisation) महिलाओं के वरदान बनकर आया है। IVF वो तकनीक है जिसके जरिए बांझ महिलाएं भी मां बनने का सुख पा सकती हैं लेकिन कोरोना काल में महिलाएं इस ट्रीटमेंट को टाल रही हैं। जो कि सही नही...आप कोरोना काल में भी कुछ सावधानियां बरत के इस ट्रीसमेंट को करवा सकती हैं।
क्या हैं आईवीएफ (IVF Technique)?
IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) यानि टेस्ट ट्यूब बेबी ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें महिलाओं के गर्भाशय में दवाइयों व इंजैक्शन की मदद से एक से अधिक अंडे बनाए जाते हैं। फिर सर्जरी के जरिए अंडों को निकाला जाता है और अल्ट्रासाउंड का यूज कर अंडे लैब में पति के शुक्राणुओं (स्पर्म) के साथ मिलाकर फर्टिलाइजेशन के लिए 2-3 दिन तक रखा जाता है। फिर इसे महिला के गर्भ में इम्प्लांट किया जाता है। इम्प्लांटेशन के 14 दिनों बाद ब्लड या प्रेगनेंसी टेस्ट के जरिए इसकी सफलता का पता लगाया जाता है।
अगर हुई देर तो होगा नुकसान
कोरोना संकट के चलते अगर आप आईवीएफ ट्रीटमेंट करवाने से डर रही हैं तो आगे चलकर इसके सफल होने के चांस कम हो जाते हैं। जिसके चलते कपल्स में घबराहट और डिप्रेशन जैसी समस्या हो सकती है। इसलिए इनफर्टिलिटी के संकेतों को नजरअंदाज व करें।
कोरोना काल में IVF ट्रीटमेंट
. कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेहद खतरनाक है। ऐसे में पूरी एहतियात और सावधानियां बरतते हुए आईवीएफ ट्रीटमेंट करवाएं।
. इसके अलावा कैंसर से जुड़ी समस्या के चलते भी इस ट्रीटमेंट को मत टालें।
. 30 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं और जिनकी ओवरी समर्थ नहीं है उन्हें इस ट्रीटमेंट के लिए बिल्कुल भी देर नहीं करनी चाहिए।
कोरोना काल में आईवीएफ ट्रीटमेंट के समय बरतें ये सावधानियां-
. मास्क लगाकर घर से बाहर निकलें
. सैनिटाइजर पास में रखें।
. अस्पताल में सुरक्षा नियमों जैसे शरीर का तापमान देखना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
. फोन पर आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करें।
. जरूरत होने पर घर से निकलें नहीं तो फोन पर ही डॉक्टर से सलाह लें।