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IVF ट्रीटमेंट करवाने से पहले Couple ये बातें जरूर जान लें, महिला शरीर में आएंगे कैसे बदलाव?

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 25 Aug, 2022 01:47 PM

बच्चा पैदा करने के लिए आजकल आईवीएफ ट्रीटमेंट की खूब मदद ली जा रही है। बहुत से सेलेब्रिटी इसी ट्रीटमेंट के चलते पेरेंट्स बनने का सुख पा चुके हैं जब कपल नैचुरली कंसीव नहीं कर पाता तो इस ट्रीटमेंट की मदद ली जाती है लेकिन क्या आईवीएफ हर कपल करवा सकता है, क्या प्रैंग्नेंसी ना होने का लास्ट ऑप्शन्स यहीं है? इस बारे में हर महिला और हर पुरुष को पता होना चाहिए। ऐसी कौन सी स्थिति है जब आईवीएफ तकनीक को अपनाया जा सकता है?

सबसे पहले बता दें कि अगर आपकी शादी को सिर्फ 6 महीने से 2 साल हुए हैं और आप कंसीव नहीं कर पा रहे तो आईवीएफ लास्ट ऑप्शन नहीं है बल्कि डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि यह इतना आसान ट्रीटमेंट नहीं है। इससे पहले आप नैचुरल व अन्य ट्रीटमेंट्स की मदद से ले सकते हैं। अगर फिर भी प्रैगनेंसी कंसीव ना हो तो आईवीएफ का तरीका चुनें।

किन्हें IVF की जरूरत? 

एक्सपर्ट की मानें तो लाइफस्टाइल बिगड़ने, शादियां लेट होने के चलते इंफर्टिलिटी की समस्या तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसा नहीं है कि इसमें सिर्फ पत्नी की उम्र मायने रखती हैं बल्कि पति की उम्र को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर 35 पार होने पर महिला के अंडों की गुणवत्ता कम होती है तो पुरुष के शुक्राणुओं की गुणवत्ता भी 45 के बाद कम होने लगती हैं। अगर लाइफस्टाइल खराब है तो यह उससे पहले भी अंडे व शुक्राणु इफैक्ट होंगे। इसके अलावा फैलोपियन ट्यूब में समस्या होना, एग कमजोर होना, एग ना बनना, ज्यादा दवाओं का सेवन करना, खराब लाइफस्टाइल, ऑटोइम्यून बीमारियों की वजह से अंडे मर जाना, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, पुरुषों में एजक्यूलेशन संबंधी विकार, तनाव, प्रदूषण का बढ़ता स्तर ये सब कारण बांझपन की वजह बन सकते हैं।
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क्या IVF करवाने का कोई नुकसान है ?

वैसे यह तकनीक सेफ है। नार्मल प्रेगनेंसी की तरह इसमें भी कुछ कॉम्प्लीकेशन्स या नार्मल साइड–इफेक्ट्स होंगे। अगर आप आईवीएफ की सोच रहे हैं तो बता दें कि इस ट्रीटमेंट के दौरान महिला को कई तरह के एचसीजी इंजेक्शन दिए जाते हैं जिसकी वजह से इंजेक्‍शन लगने वाली जगह पर सूजन, ओवरी हाइपरस्टिमुलेशन और एक्‍टोपिक प्रेग्‍नेंसी हो सकती है। महिला को चिड़चिड़ापन, ब्रेस्ट छूने पर दर्द, गर्मी लगने, सिर दर्द, मतली और आंखों में धुंधलापन दिखाई देने की शिकायत हो सकती है। महिला का वजन बढ़ सकता है। भूख पर असर पड़ सकता है। पेट फूलने, पेट खराब जैसे दस्त-कब्ज की भी शिकायत
होती है। स्ट्रेस बहुत रहता है। 
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ट्रीटमेंट करवाने के बाद सेफ है लेकिन हैल्थ संबंधी कुछ सावधानियां जरूर बरतें जैसे:- 

खूब सारा पानी पीएं।
फाइबर युक्त आहार खाएं। 
जंक फूड से बचें, अत्यधिक प्रदूषण से बचें।
तनाव मुक्त रहें।
भारी सामान ना उठाएं।
इंटरकोर्स से परहेज करें।
ज्यादा मेहनत वाला व्यायाम ना करें। 
धूम्रपान शराब का सेवन ना करें ना ट्रीटमेंट से पहले ना बाद में।
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आईवीएफ ट्रीटमेंट के असफल होने के कारण 

आईवीएफ ट्रीटमेंट के असफल होने के भी बहुत से कारण हो सकते हैं। जैसे 
भ्रूण की गुणवत्ता में कमी
कपल की एज
खराब ओवेरियन रिस्पोंस
गर्भाशय की असामान्यताएं
खराब लाइफस्टाइल 
महिला का ज्यादा वजन 

एक बार विफल होने के बाद आप दोबारा भी ये ट्रीटमेंट ले सकते हैं लेकिन डॉक्टरी सलाह लेकर। 
 

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