23 DECMONDAY2024 6:03:37 AM
Nari

कोरोना से कैसे बचाएगा 'केकड़े' का खून? जानिए वैज्ञानिकों की राय

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 17 Jul, 2020 11:25 AM
कोरोना से कैसे बचाएगा 'केकड़े' का खून? जानिए वैज्ञानिकों की राय

कोरोना वायरस का खतरा कम होने की बजाए बढ़ता ही जा रही है। वैज्ञानिक दिन-रात इसकी वैक्सीन बनाने में भी लगे हुए हैं। इसी बीच रूस द्वारा कोरोना की वैक्सीन बनाए जाने की खबरें किसी उम्मीद से कम नहीं है। हालांकि ऐसा कहा जा रही है कि भारत ने भी कोरोना की वैक्सीन तैयार कर ली है, जिसका सिर्फ ह्ययूमन ट्रायल होना बाकी है। वहीं, कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए वैज्ञानिक 10 आंखों वाले हॉर्सशू केकड़े पर भी शोध कर रहे हैं।

केकड़ों से मिल सकती है मदद

हॉर्सशू केकड़े का नीला खून सालों से दवा बनाने के लिए इस्तेमाल होता आ रहा है। दरअसल, हॉर्सशू केकड़ों के ब्लड सेल दवा में मौजूद तत्वों के साथ केमिकली रीएक्ट करते हैं, जिससे पता चलता है कि दवा में कोई बैक्टीरिया तो नहीं है। यही वजह है कि वैज्ञानिक उनके खून की जांच कर रहे हैं।

PunjabKesari

कैसे करता है काम?

केकड़ों के खून से एक केमिकल निकलता है जो बैक्टीरिया के संपर्क में आए खून को जमा देता है। इससे बैक्टीरिया, वायरस या जर्म्स जमे हुए खून में ही मर जाते हैं इसलिए कोरोना वैक्सीन को जांचने के लिए इसकी मदद ली जा सकती है।

कोरोना वैक्सीन की होगी टेस्टिंग

कई बार तैयार की जाने वाली दवा में एंडोटॉक्सिन होता है, जो खतरनाक हो सकता है। यही वजह है कि मनुष्य को दवा देने से पहले केकड़ों के खून से मिलाया जा रहा है कि वो जहरीला तो नहीं।

केकड़ों के अस्तित्व पर खतरा

भले ही उनका खून दवा बनाने में मददगार हो लेकिन लिविंग फॉसिल (जीवित जीवाश्म) हॉर्सशू केकड़े की प्रजाति खतरे में आ सकती है। माना जा रहा है कि दवा के लिए इनका खून इस्तेमाल से इनकी संख्या कम हो सकती है। हॉर्सशू केकड़ा, अकेला ऐसा जीव है, जिसका खून टेस्टिंग में यूज होता है। हर साल अमेरिका की लैब में हजारों केकड़ों को पकड़कर भेजा जाता है क्योंकि सबसे ज्यादा दवा वहीं तैयार की जाती है। लैब में उनके दिल से पास मौजूद नली से खून निकालकर उन्हें वापिस समुद्र में छोड़ा जाता है।

PunjabKesari

केकड़ों को होता है नुकसान

दरअसल, वैज्ञानिकों को लगता था कि केकड़े के शरीर से खून निकाल लेने पर भी वो जिंदा रह सकते हैं जबकि ऐसा नहीं है। नए शोध के मुताबिक, अगर उनके शरीर से 30% खून निकल जाए तो वह कुछ समय बाद मर जाते हैं। वहीं दूसरे अध्ययन के मुताबिक, इससे सिर्फ मादा केकड़ों की प्रजनन शक्ति कम होती है। बता दें कि दवा टेस्टिंग के लिए करीब 50 लाख केकड़ों का खून निकाला जाता है। हालांकि दवा बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि आंकड़े के मुताबिक इससे केकड़ों की संख्या कम नहीं हुई है।

बेशकीमती है इसका खून

बता दें कि अपनी इस खूबी के कारण यह सबसे बेशकीमती समुद्री जीव हैं। इनका 1 लीटर खून लगभग 11 लाख रुपए में बेचा जाता है।

PunjabKesari

Related News