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ब्रह्मचारी रहना चाहते थे भगवान गणपति, जानिए फिर कैसे 2 विवाह में बंधे बप्पा

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 01 Sep, 2019 02:34 PM
ब्रह्मचारी रहना चाहते थे भगवान गणपति, जानिए फिर कैसे 2 विवाह में बंधे बप्पा

सभी देवताओं में से सबसे पहला स्थान गणेश भगवान जी को दिया गया है इसलिए किसी भी शुभ कार्य से पहले बप्पा की अराधना ही की जाती है। बात अगर शादी की करें तो गणेश जी का विवाह बाकी सभी देवताओं से अलग संयोग में हुआ था क्योंकि गणेश भगवान शादी करना ही नहीं चाहते थे। मगर फिर भी वह रिद्धि-सिद्धि के साथ शादी के बंधन में बंध गए।

 

चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ब्रह्मचारी की इच्छा रखने वाले गणेश जी शादी के बंधन में कैसे बंध गए और क्या है इसकी कहानी...

ब्रह्मचारी रहना चाहते थे गणपति बप्पा

दरअसल, भगवान गणेश अपनी शारीरिक बनावट को लेकर परेशान रहते थे। एक बार जब वह तपस्या कर रहे थे तो वहां से तुलसी जी गुजरी और गणेश जी को देखते ही उनपर मोहित हो गई। उन्होंने गणेश जी से शादी करने की ईच्छा जताई लेकिन गणेश जी ने खुद को ब्रह्मचारी बताकर उनके प्रस्ताव को मना कर दिया। इसपर नाराज होकर तुलसी जी ने उन्हें 2 शादियों का श्राप दे दिया। यही कारण है कि गणेश जी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं किया जाता।

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जब विघ्नहर्ता ही डालने लग गए थे विवाह में अड़चन तो...

वहीं अन्य कथाओं की मानें तो गणेश जी अपने हाथी जैसे मुंह और मोटे पेट से परेशान रहते थे। उन्हें लगता था कि अगर मेरा विवाह नहीं होगा तो मैं किसी ओर की भी शादी भी नहीं होने दूंगा। इसके बाद गणेश जी ने सभी के कामों में विध्न डालना शुरू कर दिया। इस काम में गणेश जी का साथ उनके वाहन मूषक ने भी दिया था।

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ध्यान भटकाने लगी थीं रिद्धि और सिद्धि

गणेश जी के इस व्यवहार से बाकी देवता परेशान हो गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। तभी वो ब्रह्माजी के पास अपनी परेशानी लेकर गए। इसके बाद ब्रह्माजी अपनी दो मानस पुत्रियां रिद्धि और सिद्धि को लेकर गणेश जी के पास पहुंचे और उन्हें शिक्षा देने को कहा। जब भी गणेश जी के पास शादी की कोई खबर आती रिद्धि और सिद्धि उनका ध्यान कहीं और लगा देती।

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ऐसे संपन्न हुआ गणेशजी का विवाह

जब गणेश जी को इस बात का पता चला कि उनकी रुकावट के बिना विवाह अच्छे से हो गया तो वो क्रोधित हो गए। तभी ब्रह्मा जी ने उनके सामने रिद्धि-सिद्धि से विवाह का प्रस्ताव रखा, जिसे गणेश जी ने खुशी-खुशी से स्वीकार कर लिया और रिद्धि-सिद्धि के साथ गणेश जी का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ।

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