नारी डेस्क: सुष्मिता सेन की जब भी बात होती है तो उन दो लड़कियों का भी जिक्र हो ही जाता है, जिनकी जिंदगी एक्ट्रेस ने बदल दी। सुष्मिता सेन ने आज तक शादी नहीं की लेकिन वो दो बेटियों की मां हैं। उन्होंने महज 25 साल की उम्र में पहली बेटी रेनी को गोद लिया था. उसका पालन पोषण किया और फिर 10 साल बाद दूसरी बेटी अलीशा को गोद लिया. वो आज भी दोनों बेटियों की अकेले परवरिश कर रही हैं। आइए आज आपको समझाते हैं भारत में बच्चे को गोद लेने को लेकर क्या है नियम।
ये है गाइडलाइंस
इच्छुक माता-पिता भारत में बच्चे को गोद लेकर न केवल अपने जीवन में खुशी ला सकते हैं, बल्कि एक बच्चे के भविष्य को सुरक्षित और उज्जवल बना सकते हैं। भारत में गोद लेने की प्रक्रिया भले ही विस्तृत हो, लेकिन यह सुनिश्चित करती है कि बच्चे को एक सुरक्षित और प्यार भरा घर मिले। गोद लेना न केवल एक संवेदनशील जिम्मेदारी है, बल्कि यह समाज में बदलाव लाने का एक सकारात्मक कदम भी है। भारत में बच्चे को गोद लेना (अडॉप्शन) केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण (CARA) के अधीन आता है, जो भारत सरकार का एक वैधानिक निकाय है। जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) एक्ट, 2015 और CARA की गाइडलाइंस के तहत गोद लेने की प्रक्रिया और पात्रता तय की जाती है।
क्या सिंगल वुमन बच्चे को गोद ले सकती है?
हां, सिंगल वुमन भारत में बच्चे को गोद ले सकती हैं। - सिंगल महिला की आयु और उनकी आर्थिक, भावनात्मक, और सामाजिक स्थिति का आकलन किया जाता है। सिंगल वुमन केवल एकल माता-पिता के रूप में गोद ले सकती हैं। यदि वे 25 वर्ष से अधिक उम्र की हैं, तो वे दत्तक प्रक्रिया में हिस्सा ले सकती हैं।
वह एक लड़की या लड़का, दोनों को गोद ले सकती है। सिंगल महिला की उम्र बच्चे की उम्र के आधार पर तय सीमा में होनी चाहिए:
- 4 साल तक के बच्चे के लिए अधिकतम उम्र: 45 साल।
- 4-8 साल के बच्चे के लिए अधिकतम उम्र: 50 साल।
- 8-18 साल के बच्चे के लिए अधिकतम उम्र: 55 साल।
-उन्हें यह साबित करना होता है कि वे बच्चे को एक स्थिर और सुरक्षित जीवन दे सकती हैं।
बच्चे को गोद लेने के लिए पात्रता (Eligibility for Adoption)
विवाहित, अविवाहित, तलाकशुदा, या विधवा कोई भी व्यक्ति गोद ले सकता है। माता-पिता या एकल गोद लेने वाले व्यक्ति की न्यूनतम उम्र 25 वर्ष होनी चाहिए। गोद लेने वाले और गोद लिए जाने वाले बच्चे के बीच कम से कम 21 साल का उम्र का अंतर होना चाहिए। भारतीय मूल के अप्रवासी (NRI) और विदेशी नागरिक भी बच्चे को गोद ले सकते हैं। उनके लिए अलग प्रक्रिया और नियम हैं, जो CARA द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं।
गोद लेने की प्रक्रिया (Adoption Process in India)
ऑनलाइन पंजीकरण: गोद लेने के इच्छुक अभिभावकों को CARA की आधिकारिक वेबसाइट ([www.cara.nic.in](http://www.cara.nic.in)) पर पंजीकरण करना होता है। सभी आवश्यक दस्तावेज (आय प्रमाणपत्र, पहचान पत्र, निवास प्रमाणपत्र आदि) अपलोड करें।
होम स्टडी रिपोर्ट: अधिकृत एजेंसी अभिभावकों के घर का निरीक्षण करती है और उनकी स्थिति की समीक्षा करती है। यह जांचती है कि गोद लेने वाले व्यक्ति या दंपत्ति बच्चे को एक सुरक्षित और स्थिर वातावरण दे सकते हैं या नहीं।
बच्चे का मिलान: गोद लेने के लिए योग्य बच्चों की जानकारी पंजीकृत अभिभावकों को दी जाती है। मिलान के बाद, गोद लेने वाले बच्चे से मिलने का अवसर दिया जाता है।
कानूनी प्रक्रिया: गोद लेने को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए परिवार न्यायालय (Family Court) में आवेदन किया जाता है। न्यायालय के आदेश के बाद, बच्चा औपचारिक रूप से गोद लिया जाता है।
गोद लेने के नियम और शर्तें
- सिंगल पुरुष केवल लड़के को गोद ले सकते हैं।
- सिंगल महिला लड़का या लड़की, दोनों को गोद ले सकती हैं।
- बच्चे को गोद लेने के लिए उसकी उम्र 18 वर्ष से कम होनी चाहिए।
- हिंदू, बौद्ध, जैन, और सिख धर्म के अनुयायियों के लिए, हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम (HAMA) लागू होता है।
- मुस्लिम, ईसाई, पारसी धर्म के अनुयायी CARA के नियमों के तहत दत्तक प्रक्रिया करते हैं।
गोद लेने के फायदे और जिम्मेदारियां**
एक अनाथ बच्चे को घर और परिवार मिलता है। गोद लेने वाले माता-पिता को परिवार का एक नया सदस्य मिलता है।