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होरी खेलन पधारो श्री वृन्दावन में... ब्रज में शुरू हुआ होली का खुमार, रंगों से भीगे कान्हा के भक्त

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 06 Mar, 2024 04:01 PM
होरी खेलन पधारो श्री वृन्दावन में... ब्रज में शुरू हुआ होली का खुमार, रंगों से भीगे कान्हा के भक्त

देश के उत्तरी हिस्से में अब भी मौसम में सर्दी का प्रभाव होने के कारण जहां अभी होली मनाने को लेकर कोई हलचल नहीं है वहीं कान्हा की नगरी में होली का धूम धड़ाका तेज होने लगा है। क्योंकि कहा जाता है कि नन्द जू के आंगन में हर दिन बस होली है मन्दिरों में तो होली बसंत के शुरू होने के साथ से ही चल रही है इस दिन विभिन्न मन्दिरों में होली का डाढ़ा गाड़ दिया जाता है और उसी दिन से गर्भगृह में श्यामाश्याम की गुलाल की होली के बाद रोज राजभोग सेवा में मन्दिरो के गर्भगृह से जगमोहन में मौजूद भक्तों में यही गुलाल प्रसाद स्वरूप डाला जाता है।

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 अलग अलग तिथियों से मन्दिर के जगमोहन या चैक में होली के रसिया का गायन शुरू हो जाता है।  रंग भरनी एकादशी से मन्दिरों मे श्यामसुन्दर और किशोरी जी रंग की होली खेलते हैं तथा भक्तों में भी यह रंग प्रसादस्वरूप पड़ता है। ब्रजमंडल में रंग की होली की शुरूवात रमणरेती आश्रम की होली से होती है जो फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। आश्रम के वरिष्ठ संत गोविन्दानन्द जी महराज ने बताया कि इसके अन्तर्गत पहले श्यामाश्याम की फूलों की होली होती है तथा बाद में गुलाल और टेसू के रंग की होली होती है। 

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इस होली की विशेषता यह है कि इसमें ब्रज के महान संत कार्णि गुरूशरणानन्द महराज भी सम्मिलित होते हैं। यहां होली खेलने के बाद लोग यमुना में स्नान करते हैं और फिर आश्रम में ही प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस बार रमणरेती आश्रम की होली 14 मार्च को मनाई जाएगी। गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर राजस्थान की सीमा पर पड़नेवाला श्रीनाथ जी मन्दिर ब्रज का एकमात्र मन्दिर है जहां पर श्यामाश्याम की गुलाल की होली तो बसंत से शुरू हो जाती है किंतु इस मन्दिर में रंग की होली रंगभरनी एकादशी से शुरू नही होती।

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 मन्दिर के प्रमुख चन्दू मुखिया ने बताया कि मन्दिर में केवल होली के दिन श्यामसुन्दर और किशोरी जी पहले टेसू के गुनगुने रंग से होली खेलते हैं बाद में यही रंग प्रसाद स्वरूप चांदी की पिचकारी से भक्तों पर डाला जाता है। इस मन्दिर में रंग होली के दिन ही केवल राजभोग सेवा तक चलता है । शाम को ठाकुर का अनूठा श्रंगार होता है तथा इस श्रंगार को करने में सेवायत को कम से कम तीन चार घंटे लग जाते हैं। 
 

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