हार्ट अटैक आजकल एक आम समस्या हो गई है। पहले माना जाता था कि दिल के मरीज या बुजुर्ग को ही हार्ट अटैक आता है, लेकिन पिछले समय से युवा इसकी ज्यादा चपेट में आ रहे हैं। एक बार हार्ट अटैक से जूझने के बाद इंसान अपनी सेहत को लेकर बेहद सतर्क हो जाता है। यही कारण है कि लोग एस्पिरिन पर कुछ ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। एक नए अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर में आधे से भी कम लोग जिन्हें पहले एक बार दिल का दौरा या स्ट्रोक हो चुका है, वे दूसरी बार दिल का दौरा पड़ने से रोकने के लिए रोजाना एस्पिरिन लेते हैं।
एस्पिरिन इस तरह करती है मरीज की मदद
एस्पिरिन को लेकर कहा जाता है कि यह दर्द से राहत तो दिलाती ही है, साथ ही, ऐसे लोग जिन्हें हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम है, उनके लिए यह मददगार है। यह स्ट्रोक और दिल के दौरे की संभावना को कम कर सकती है। सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने भी यह बात मानी है कि दिल के मरीजों में दैनिक एस्पिरिन का उपयोग बढ़ाने से हृदय संबंधी मौतों को कम किया जा सकता है।
दिल का दौरे के जाेखिम को करती है कम
कई अध्ययनों से पता चला है कि एस्पिरिन सहित एंटीप्लेटलेट थेरेपी, दूसरी हृदय संबंधी घटना जैसे कि दूसरी बार दिल का दौरा या स्ट्रोक के जोखिम को लगभग एक-चौथाई तक कम कर सकती है।एस्पिरिन के लाभों के बावजूद, अध्ययन से पता चला कि कम आय वाले देशों में, केवल 16.6 प्रतिशत पात्र व्यक्ति, जिन्हें पहली बार दिल का दौरा या स्ट्रोक का अनुभव हुआ था दूसरे दिल के दौरे या स्ट्रोक को रोकने के लिए एस्पिरिन ले रहे थे।
भारत के लोगों को है इस दवा पर भरोसा
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एस्पिरिन दोबारा दिल के दौरे की संभावना को 20-25 प्रतिशत तक कम कर देता है। इसे आजीवन लेने की सलाह दी जाती है जब तक कि यह विपरीत न हो। अपने चिकित्सक से परामर्श किए बिना इसे न रोकें। कहा जाता है कि बार-बार होने वाले दिल के दौरे को रोकने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण दवा है। मैक्स हेल्थकेयर के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मनजिंदर संधू का कहना है कि भले ही अध्ययन से पता चलता है कि दिल का दौरा पड़ने वाले बहुत कम मरीज एस्पिरिन का सेवन करते हैं, लेकिन भारत में यह संख्या अधिक है।
फायदे के साथ नुकसान भी है
हालांकि कई अध्ययनों में यह भी दावा किया गया है कि एस्पिरिन का ज्यादा सेवन एनीमिया का जोखिम पैदा कर सकता है। एस्पिरिन दवा पेन किलर के साथ-साथ ब्लड थिनर का भी काम करती है. यह ब्लड क्लोटिंग को रोकती है. इसके फायदे हैं तो इसके नुकसान भी हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि एस्पिरिन को नियमित रूप से तब तक नहीं लिया जाना चाहिए जब तक कि किसी व्यक्ति को दिल का दौरा, स्ट्रोक या हृदय संबंधी समस्याओं के लिए अन्य गंभीर जोखिम न हो।