नारी डेस्क : जब डायबिटीज (Diabetes) में इंसुलिन (Insulin) लेना रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन जाता है, तो सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि क्या खाया जाए और क्या नहीं। कई लोग यह मान लेते हैं कि इंसुलिन शुरू होने के बाद भारतीय भोजन से दूरी बनानी पड़ेगी, लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है। सच्चाई यह है कि भारतीय खान-पान, जिसमें साबुत अनाज, दालें, सब्जियां और मसाले शामिल हैं, इंसुलिन थेरेपी (Insulin Therapy) के साथ बेहतरीन तालमेल बिठा सकता है। सही संतुलन, उचित मात्रा और समय का ध्यान रखकर रोटी, दाल और सब्जी जैसे रोज़मर्रा के खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद कर सकते हैं।
इंसुलिन लेते समय खाना समस पर खाना
इंसुलिन के साथ डायबिटीज मरीज का मतलब यह नहीं है कि किसी एक खाद्य पदार्थ को पूरी तरह छोड़ दिया जाए। बल्कि इसका उद्देश्य है ऐसा भोजन चुनना जो धीरे-धीरे ऊर्जा प्रदान करे, ब्लड शुगर को अचानक न बढ़ाए, इंसुलिन की कार्यक्षमता को बेहतर बनाए। जब आहार संतुलित होता है, तो इंसुलिन अधिक प्रभावी ढंग से काम करता है और शुगर लेवल स्थिर रहता है।

सही आहार लेना इंसुलिन में बेहतर होना है
कुछ ऐसे भोजन होते हैं जो इंसुलिन के साथ लेना खतरनाक साबीत होते है। खासकर तब जब उन्हें बार-बार या ज्यादा मात्रा में खाया जाए। ऐसे खान-पान इंसुलिन संवेदनशीलता को कम कर देते हैं, जिससे ब्लड शुगर को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। इनमें सबसे प्रमुख हैं शुद्ध अनाज। जैसे सफेद चावल और मैदे से बनी रोटियां बहुत जल्दी पच जाती हैं, जिसके कारण ब्लड शुगर तेजी से बढ़ सकता है। इसकी जगह यदि बाजरा, ज्वार, रागी, ब्राउन राइस और साबुत गेहूं की रोटी जैसे साबुत अनाज को आहार में शामिल किया जाए, तो वे फाइबर से भरपूर होने के कारण ग्लूकोज के अवशोषण को धीमा करते हैं और इंसुलिन को बेहतर ढंग से काम करने में मदद करते हैं।
मीठा और सीलबंद पैकेट
मिठाइयां, पैकेट जूस, कोल्ड ड्रिंक्स और शुगर वाले पेय रक्त शर्करा को अचानक बढ़ा देते हैं। यदि कभी लेना ही हो, तो इन्हें फाइबर या प्रोटीन के साथ सीमित मात्रा में लें।

तले हुए और ज्यादा तेल वाली चीजें
तले हुए और ज्यादा वसा वाले खाद्य पदार्थ जैसे समोसे, पकौड़े, भारी ग्रेवी और प्रोसेस्ड फूड में ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है। ऐसे खाद्य पदार्थ इंसुलिन की कार्यक्षमता को कम कर सकते हैं और ब्लड शुगर को नियंत्रित करना मुश्किल बना देते हैं। इसके बजाय उबले हुए, भाप में पके, ग्रिल किए हुए या हल्के भुने व्यंजन अपनाना अधिक स्वास्थ्यवर्धक होता है, क्योंकि ये शरीर को आवश्यक पोषण देते हैं और इंसुलिन को बेहतर ढंग से काम करने में मदद करते हैं।
अत्यधिक प्रोसेस्ड स्नैक्स (Ultra-Processed Snacks)
अत्यधिक प्रोसेस्ड स्नैक्स जैसे चिप्स, बिस्कुट और रेडी-टू-ईट नमकीन में अक्सर छिपी हुई चीनी, ज्यादा नमक और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा सकते हैं और इंसुलिन की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे स्नैक्स की जगह भुने चने, अंकुरित अनाज, घर पर बने हेल्दी स्नैक्स और सीमित मात्रा में मेवों का सेवन बेहतर विकल्प माना जाता है, क्योंकि ये फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होते हैं और शुगर लेवल को संतुलित रखने में मदद करते हैं।
इंसुलिन थेरेपी के साथ फायदेमंद भोजन लेना
साबुत अनाज: गेहूं, ज्वार, बाजरा और रागी फाइबर से भरपूर होते हैं। ये ग्लूकोज के अवशोषण को धीमा करते हैं और इंसुलिन के बेहतर काम में मदद करते हैं।
दालें और प्रोटीन: मूंग, अरहर और मसूर जैसी उबली हुई दालें ब्लड शुगर को संतुलित रखने में सहायक होती हैं, खासकर जब इन्हें साबुत अनाज के साथ खाया जाए। कम वसा वाला पनीर, दही और छाछ भोजन में प्रोटीन जोड़ते हैं और पाचन को बेहतर बनाते हैं।

सेहत को बेहतर बनाने वाली सब्जियां
भिंडी, करेला, लौकी और बीन्स जैसी सब्जियां ग्लूकोज के अवशोषण को धीमा करती हैं। पालक, मेथी और चौलाई जैसी पत्तेदार सब्जियां शुगर मेटाबॉलिज्म को सुधारने में मदद करती हैं।
हेल्दी स्नैक्स और फल (Healthy snacks and fruits)
हेल्दी स्नैक्स और फल इंसुलिन लेने वाले लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। भुने या अंकुरित चने की चाट फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होती है, जो लंबे समय तक ऊर्जा बनाए रखती है और ब्लड शुगर लेवल को अचानक गिरने से बचाती है। इसके अलावा अमरूद, सेब, संतरा और पपीता जैसे कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फल भोजन के बीच सुरक्षित स्नैक विकल्प माने जाते हैं, क्योंकि ये शरीर को आवश्यक पोषण देते हुए शुगर लेवल को संतुलित रखने में मदद करते हैं।
इंसुलिन के साथ सही ढंग से भोजन करना
इंसुलिन थेरेपी के साथ सही आहार का मतलब सख्त डाइट नहीं है, बल्कि सही समय पर खाना, संतुलित थाली, फाइबर और प्रोटीन से भरपूर भोजन, साबुत और प्राकृतिक खाद्य पदार्थ ऊर्जा को स्थिर रखते हैं और ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखते हैं, जिससे व्यक्ति अपने भोजन और स्वास्थ्य दोनों का आनंद ले सकता है।

इंसुलिन लेने वालों के लिए ब्लड शुगर की नियमित जांच जरूरी
जो लोग इंसुलिन लेते हैं, उनके लिए नियमित ब्लड शुगर मॉनिटरिंग बेहद जरूरी होती है। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि कौन-सा भोजन आपके लिए सही है, इंसुलिन लेने का सही समय क्या होना चाहिए और शुगर के अचानक बढ़ने या गिरने से कैसे बचा जाए। नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह से आहार और इंसुलिन डोज में सही बदलाव संभव हो पाता है।
इंसुलिन थेरेपी (Insulin Therapy) के साथ-साथ सही खाना पिना, रोज की रूटीन को फॉलो करना। तभी Diabetes को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। वो भी अपने पसंदीदा भारतीय खाने के साथ।