नारी डेस्क: वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मंदिर में पितरों की तस्वीर रखना अनुचित माना जाता है क्योंकि इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है और देवी-देवताओं की पूजा में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। पितरों का स्थान देवी-देवताओं से नीचे होता है और उनकी तस्वीर को मंदिर में रखना पितृ दोष का कारण भी बन सकता है, जिससे घर में संकट और अशांति फैल सकती है। इसके पीछे धार्मिक और वास्तु शास्त्र दोनों का तर्क है, जो यह निर्देशित करता है कि पितरों की पूजा और उनकी तस्वीरें मंदिर के अलावा किसी अन्य स्थान पर रखें। घर के मंदिर में पितरों की तस्वीर रखना उचित नहीं माना जाता है। इसके पीछे धार्मिक और वास्तु शास्त्र दोनों के कारण होते हैं। आइए जानते हैं इसके कारण और इसके पीछे का तर्क।
देवी-देवताओं से नीचे होता है पितरों का स्थान
वास्तु शास्त्र में यह बताया गया है कि पितरों का स्थान देवी-देवताओं से नीचे होता है। मंदिर में देवी-देवताओं की पूजा होती है, जो कि सर्वोच्च माने जाते हैं। पितरों की तस्वीर को मंदिर में रखना उन्हें देवी-देवताओं के समकक्ष मानने जैसा है, जो अनुचित है। इस कारण से मंदिर में पितरों की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए।
वास्तु दोष और नकारात्मक ऊर्जा
घर के मंदिर में पितरों की तस्वीर रखने से वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। वास्तु दोष से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और इससे परिवार पर संकट आने की संभावना बढ़ सकती है।
पितृ दोष का खतरा
पितरों की तस्वीर को मंदिर में रखने से पितृ दोष भी उत्पन्न हो सकता है। पितृ दोष एक प्रकार का ग्रह दोष होता है, जिससे परिवार में कलह, रोग और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसे हटाने के लिए विशेष पूजा विधि की आवश्यकता होती है।
पितरों के लिए अलग स्थान
पितरों की पूजा के लिए घर में एक अलग स्थान रखना चाहिए, जिसे "पितृ स्थान" कहा जाता है। इसे उत्तर दिशा में रखना शुभ माना जाता है। इस स्थान पर पितरों की तस्वीर रखकर उनकी श्रद्धा और पूजा की जा सकती है, परन्तु इसे मंदिर में नहीं रखना चाहिए।
मंदिर में केवल देवी-देवताओं की मूर्तियां
मंदिर का स्थान पवित्र माना जाता है और इसमें केवल देवी-देवताओं की मूर्तियाँ या चित्र होने चाहिए। यह स्थान ध्यान और पूजा के लिए होता है, इसलिए पितरों की तस्वीर रखने से देवी-देवताओं की पूजा में व्यवधान आ सकता है।
वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घर के मंदिर में पितरों की तस्वीर रखना उचित नहीं माना जाता है। पितरों की पूजा के लिए अलग स्थान बनाना चाहिए और मंदिर में केवल देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए। इससे घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और वास्तु दोष से बचा जा सकता है।