टीनएजर बच्चों की परवरिश पेरेंट्स के लिए सबसे मुश्किल काम होता है, खासकर लड़कियों की। बड़ी होती बेटी के मन में ना जाने कितने ही सवाल चलते हैं, जिन्हें वह किसी से शेयर नहीं कर पाती। ऐसे में मां की जिम्मेदारी बनती है कि वह उनसे बात करें और उन्हें कुछ बातें समझाएं।
बनें बेटी की दोस्त
आप अपनी बेटी की दोस्त बनकर रहें और उनसे अपनी हर बात शेयर करें। इससे बेटी भी अपनी हर बात आपको बताएगी।
पीरियड्स के बारे में खुलकर करें बात
अक्सर भारतीय मांएं बेटियों से इस बारे में बात करने से कतराती है क्योंकि उन्हें लगता है कि अभी इस बारे में बात करने का समय नहीं है। मगर, 14 साल की उम्र के बाद बेटी को कभी भी पीरियड्स कभी भी शुरू हो सकते हैं। उन्हें स्कूल में शर्मिंदगी महसूस ना करनी पड़े इसलिए आप पहले ही उनसे इस बारे में बात कर लें।
जिम्मेदार बताए और स्ट्रांग बनाएं
जब लड़कियां स्कूल से कॉलेज में कदम रखती हैं, तो आस-पास का पूरा माहौल बदल जाता है। इस दौरान इस कई स्थितियों का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में उन्हें बताएं कि वो किसी भी परेशानी में डरे नहीं बल्कि हिम्मत से उसका सामना करें।
हार का सामना करना सिखाएं
हार-जीत जिंदगी का हिस्सा है इसलिए अपनी बेटियों को सिखाएं कि अगर वो हार जाए तो दुखी ना हो बल्कि ओर मेहनत करें। उन्हें नाकामयाबियों से उसे सीख लेकर आगे बढ़ना सिखाएं।
गलत इंसान से ना हो प्यार
टीनएजर उम्र में अक्सर लड़कियों का किसी ना किसी पर क्रश होता है। ऐसे में उन्हें सिखाएं कि ऐसा करना गलत नहीं है लेकिन यह देखना भी जरूरी है कि आप किसी गलत इंसान के चक्कर में तो नहीं है। ऐसे में उन्हें इस बात की पूरी जानकारी होनी चाहिए कि वह लड़का कैसा है।
खुद पर विश्वास रखना सिखाएं
बेटी को खुद में विश्वास रखना सिखाएं, ताकि जिंदगी के किसी भी मोड़ पर उसका आत्मविश्वास ना डगमगाए, फिर बात चाहे प्रोफेशनल लाइफ की हो या रिलेशनशिप की।