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ज्यादा तनाव लेने से महिलाओं में बढ़ रही हैं बी.पी और हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारी

  • Edited By Shiwani Singh,
  • Updated: 28 Oct, 2021 02:13 PM
ज्यादा तनाव लेने से महिलाओं में बढ़ रही हैं बी.पी और हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारी

आज की व्यस्त और भागमभाग की जिंदगी में हर कोई तनाव में ही रहा है। जहां तक महिलाओं का प्रश्न है, उनका तनाव भी कुछ कम नहीं। इस तनाव ने उनके जीवन की सारी हंसी खुशी छीन ली है। 

आखिर क्या है तनाव की वजह?

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महिलाओं में तनाव के कई कारण हो सकते हैं। कामकाजी महिलाओं को दोनों मोर्चे संभालने पड़ते हैं। इसलिए उनका तनाव भी दोहरा होता है। महिलाओं को पारिवारिक कलह, बच्चों की पढ़ाई, आर्थिक परेशानी, शारीरिक अस्वस्थ्ता, जिम्मेदारी नहीं निभा पाने, संतान न होने या प्रेम विवाह करने आदि अनेक तनाव रहते हैं।

काम के तनाव से बढ़ता बी.पी.!

हार्वर्ड यूनिवॢसटी सैंटर की शोधकर्त्ताओं ने 13 हजार से ज्यादा कामकाजी महिलाओं पर शोध किया और पाया कि काम के बोझ की वजह से हार्ट अटैक, आइकैमिक स्ट्रोक और एंजियोग्राफी तक की नौबत आ जाती है।

महिलाओं को आमतौर पर वे नौकरियां ऑफर की जाती हैं, जहां उनसे अपेक्षाएं तो बहुत की जाती हैं लेकिन उनकी सेहत पर ध्यान कम रखा जाता है। जब समय पर लक्ष्य पूरा नहीं होता दिखे तो तनाव बनाया जाता है जिससे बी.पी. भी बढ़ता है।

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घरेलू काम दिल के लिए खतरा!

कामकाजी महिलाओं पर घरेलू काम का भी दबाव रहता है। दरअसल घर का काम बाहर के काम से ज्यादा थकाऊ होता है। अमरीका स्थित यूनिवर्सिटी आफ पिट्सबर्ग स्कूल आफ एजुकेशन के वैज्ञानिकों के एक शोध के अनुसार घर के काम जैसे खाना पकाना, सफाई करना और राशन का सामान खरीदना उनके दिल के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने 100 कामकाजी और घरेलू महिलाओं पर किए अध्ययन में पाया कि जो महिलाएं पूरे वक्त घर के काम में लगी रहती हैं उनका रक्तचाप हमेशा उच्च रहता है। शोधकर्त्ताओं के अनुसार काम के बोझ से ज्यादा काम करने के बारे में सोचने से होने वाला तनाव ज्यादा खतरनाक होता है। एक अन्य शोध के मुताबिक कामकाजी महिलाओं के लिए तनाव हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। 

ऐसे दूर करें तनाव 

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-भरपूर नींद लें, सुबह की सैर करें, मधुर संगीत सुनें।
-अपनी इच्छा को अपनों के सामने व्यक्त करें।-
-लम्बी सांसें लें ताकि अधिक मात्रा में आक्सीजन मिल सके।
 -वह काम करें जिससे आपका दिल खुश हो।
- आशावादी रहें, दुविधा में हों तो शांत मन से सोचें।
-अच्छे पलों को याद करें तथा कड़वी यादों को भुला दें।
-छोटी-छोटी बातों को नजर-अंदाज करना सीखें।
-कार्यक्षमता की सीमा को ध्यान में रखकर ही लक्ष्य तय करें।
-बागवानी में दिलचस्पी लें, योग क्रियाएं करें।

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