होली का त्योहार पूरे भारत में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वहीं होलिका दहन होली से एक दिन पहले किया जाता है और अगले दिन धूमधाम के साथ होली खेली जाती है। इस साल 7 मार्च को हिलाक दहन मनाया जाएगा और वहीं 8 मार्च को होली खेली जाएगी। मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होलिका दहन से पहले कुछ लकड़ियां इकट्ठी करके होली वाले दिन इन्हें जलाया जाता है। परंतु होली वाले दिन लकड़ियों का चुनाव थोड़ी सावधानी से करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, कुछ पेड़ की लकड़ियां इस्तेमाल करने से भगवान आपसे नाराज हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं इनके बारे में...
न करें इन पेड़ों की लकड़ी इस्तेमाल
मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन के लिए पीपल के पेड़, शमी के वृक्ष, आम के पेड़, आंवले के पेड़, नीम के पेड़, केले के पेड़, अशोक के पेड़, बेल के पेड़ की लकड़ियों का कभी भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। क्योंकि मान्यताओं के अनुसार, इन पेड़ों का बहुत ही महत्व होता है। इसके अलावा हरे-भरे पेड़ या फिर इनकी टहनियों का इस्तेमाल करना भी शुभ नहीं माना जाता है।
करें इन पेड़ों का इस्तेमाल
होलिका दहन में आप एरंड और गूलर के पेड़ से बनी लकड़ियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। गूलर के पेड़ को सनातन धर्म में बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसे में आप इस पेड़ की लकड़ियां होलिका दहन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
उपले और कंडे
होलिका दहन में गाय के गोबर के कंडे इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इससे वातावरण भी शुद्ध रहता है। इसके अलावा गाय के गोबर का इस्तेमाल पूजा पाठ में भी खास तौर पर किया जाता है।
खरपतवार आएगा जलाने के काम
लकड़ियों और उपलों के अलावा आप खरपतवार को भी होलिका दहन में जला सकते हैं। इसका इस्तेमाल होली में करने से हरे पेड़ों को काटने की भी जरुरत नहीं पड़ेगी और होलिका में इसे जला देने से आसपास की सफाई भी हो जाएगी।