दिवाली का त्यौहार हिंदू और सिक्ख दोनों धर्मों में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम पूरे 14 साल का बनवास काट कर घर लौटे थे वहीं, सिक्ख धर्म के छठें गुरु 'गुरु हरगोबिंद साहिब' जी इस दिन पूरे 52 राजों को कैद से मुक्त करवाया था। उस दिन से सिक्ख धर्म में दीपावली के दिन को 'बंदी छोड़ दिवस' के नाम से मनाया जाता है।
मार्किटों में रौनक
समागमों के अलावा पूरे शहर में लंगरों के भंडार लगते हैं। मार्किटों में पूरी रौनक लगी होती है। पंजाबी कलचर को पसंद करने वालों के लिए इस दौरान मार्किट में बहुत कुछ खरीदने को मिल जाता है। इस दिन शहर में नगर कीर्तन भी निकाला जाता है। जिसकी रौनक आपको सारा दिन देखने को मिलती है।
आतिशबाजी के साथ जलाए जाते हैं दीपक
इस दौरान दरबार साहिब को दीपक और लाइटों के साथ सजाया जाता है, इतना ही नहीं रात के वक्त आतिशबाजी भी की जाती है। इस अलौकिक नजारे को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं।
तो इस 'बंदी छोड़ दिवस' के मौके अगर आप कुछ अलग और अद्भुत देखने की चाह रखते हैं तो अमृतसर की दीपावली जरुर देखने जाएं। रात के वक्त संगत परिक्रमा में बैठकर दिये जलाती है और साथ-साथ आनंदमयी बाणी का आनंद लेती है। दरबार साहिब का यह सुंदर नजारा आपको बहुत ही खास औऱ कम मौकों पर देखने को मिलता है इसलिए दिवाली के दिन इस मौके का फायदा जरुर उठाएं।
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