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देवी कूष्मांडा ने की थी संसार की रचना, जानिए मां दुर्गा के चौथे स्वरुप से जुड़ी पौराणिक कथा

  • Edited By palak,
  • Updated: 28 Sep, 2022 04:11 PM
देवी कूष्मांडा ने की थी संसार की रचना, जानिए मां दुर्गा के चौथे स्वरुप से जुड़ी पौराणिक कथा

नवरात्रि के चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। इस दिन मां कूष्मांडा की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। मां के स्वरुप को लेकर ऐसा माना जाता है कि उन्होंने संसार की रचना की थी। इसलिए मां को दुखों का नाश करने वाली भी कहते हैं। मां का निवास स्थान सूर्य होता है। इसलिए मां के इस स्वरुप के पीछे भी तेज सूर्य दिखाई देता है। मां के आठ हाथ हैं और उनकी सवारी शेर है। तो चलिए आपको बताते हैं कि मां कूष्मांडा की पूजा कैसे करनी है और आप मां को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं...

कैसे पड़ा मां का नाम 

कूष्मांडा का अर्थ होता है कुम्हड़ा। मां दुर्गा ने यह अवतार असुरों के अत्याचार से संसार को मुक्त करवाने के लिए लिया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी कूष्मांडा ने पूरे ब्रह्मण्ड की रचना की थी। ऐसा माना जाता है कि यदि मां की पूजा में कुम्हड़े की बलि दी जाए तो देवी प्रसन्न होती हैं। ब्रह्माण्ड और कुम्हड़े से देवी का जुड़ाव होता है। इसलिए उन्हें मां कूष्मांडा कहते हैं

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देवी कूष्मांडा के जन्म की कथा 

नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे रुप कूष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जब सृष्टि की उत्पत्ति हुई तो उससे पहले चारों ओर अंधकार था कोई भी जीव-जंतु नहीं था। मां दुर्गा ने अंड यानी की ब्रह्मांड की रचना की थी इसलिए उन्हें कूष्मांडा कहते हैं। सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण मां को आदिशक्ति भी कहते हैं। पुराणों के अनुसार, मां के इस स्वरुप को लेकर मान्यता है कि उनके सात हाथों में चक्र, गदा, धनुष, कमण्डल, अमृत से भरा हुआ कलश, बाण और कमल का फूल है। इसके अलावा मां के हाथों में जपमाला है जो सारे तरह की सिद्धियों से युक्त है। 

देवी का मंत्र 

मां के मंत्र इस प्रकार से है। सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे। या देवी सर्वभूतेषू सृष्टि रुपेण संस्थितानमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: । ऐं ह्नी देव्यै नम: । 

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 मां कूष्मांडा देवी की पूजा 

सबसे पहले आप कलश की पूजा करके मां कूष्मांडा को नमन करें। इस दिन आप संतरी रंग के कपड़े ही पहनें। इसके बाद देवी की तस्वीर के सामने जल और फूल अर्पित करें। इसके साथ मां का ध्यान कर परिवार के अच्छे स्वास्थ्य और उनके अच्छे भविष्य की कामना करें। देवी को प्रसन्न करने के लिए आप उन्हें लाल फूल, लाल चूड़ी भी अर्पित कर सकते हैं। मां को हलवा बहुत ही प्रिय है। आप उन्हें प्रसाद के रुप में इसका भोग लगा सकते हैं। 

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