असम के बारपेटा जिले की एक अदालत ने एक महिला का तीन साल के अपने बेटे से पुन: मिलाप कराया है, जिसे जन्म के तुरंत बाद अपनी मां से अलग कर दिया गया था। एक ही अस्पताल में भर्ती एक ही नाम की दो माताओं को लेकर नर्स की गलतफहमी के कारण यह मसला खड़ा हुआ। इसके बाद एक मां ने इस मामले को लेकर पुलिस का रुख किया और आखिरकार डीएनए जांच की मदद से यह मामला सुलझाया गया।
बारपेटा जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने आदेश दिया कि तीन साल के लड़के को इसी जिले की उसकी जैविक मां नजमा खानम को सौंपा जाए। खानम ने यहां तीन मार्च 2019 को फखरुद्दीन अली अहमद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लड़के को जन्म दिया था। उन्हें प्रसव के बाद आईसीयू में भर्ती कराया गया और नवजात को शिशुओं के कक्ष में रखा गया।
अस्पताल प्रशासन ने अगले दिन खानम के पति को बताया कि उनके बेटे की मौत हो गयी है। दंपती ने इस बात को नहीं माना क्योंकि उनका बेटा जन्म के वक्त स्वस्थ था। उन्होंने अस्पताल के खिलाफ बारपेटा सदर थाने में शिकायत दर्ज करायी। जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि गोसईगांव की नजमा खातून ने उसी दिन उसी अस्पताल में बहुत गंभीर हालत में अपने नवजात बच्चे को भर्ती कराया था और उसकी उसी दिन मौत हो गयी थी।
ड्यूटी पर मौजूद नर्स दोनों शिशुओं को लेकर भ्रमित हो गयी और उसने मृत बच्चा नजमा खानम के पति को सौंप दिया। अदालत ने आदेश में कहा कि लड़के के जैविक माता-पिता का पता डीएनए जांच के जरिए लगाया गया, जिससे उसका उसके असली परिवार से मिलाप कराया गया।