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एसिम्प्टोमैटिक मरीजों में होते हैं कोरोना के वायरस, पुरुष हो रहें अधिक शिकार

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 03 Sep, 2020 11:02 AM
एसिम्प्टोमैटिक मरीजों में होते हैं कोरोना के वायरस, पुरुष हो रहें अधिक शिकार

कोरोना मरीजों के संख्या दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। इसके कारण यह है कि 80 % मरीजों में कोरोना के लक्षण ना के बराबर नजर आ रहे हैं। वहीं हाल ही में एक शोध हुआ है, जिसमें सामने आया कि एसिम्प्टोमैटिक यानी बिना लक्षण वाले कोरोना मरीज ज्यादा खतरनाक है क्योंकि उनके शरीर में कोरोना वायरस ज्यादा समय तक रह सकते हैं।

एसिम्प्टोमैटिक मरीजों में होते हैं कोरोना के वायरस

हैदराबाद के सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोटिक में शोधकर्ताओं ने 200 कोरोना मरीजों में एक शोध किया है, जिसमें सामने आया है कि एसिम्प्टोमैटिक यानी बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों में वायरस अधिक संख्या व समय तक जिंदा रह सकता है।

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संक्रमण फैला तो होंगी ज्यादा मौतें

यही नहीं, भारतीय वैज्ञानिकों के मुताबिक, ऐसे मरीजों में इंफैक्शन फैलने और मौत का खतरा भी अधिक रहता है। इम्यूिनटी कमजोर होने के कारण मौत की दर भी बढ़ सकती है। हैदराबाद शोधकर्ताओं ने मरीजों के सैंपल लेने के बाद जीनोम सिक्वेंसिंग की , जिसमें सामने आया किन इनमें म्यूटेशन भी तेजी से हुआ है। कोरोना के 20B क्लेड स्ट्रेन से 95% आबादी में संक्रमण फैला है। वहीं, 20B स्ट्रेन के स्पाइक प्रोटीन में भी बदलाव हुआ, जिसकी वजह से संक्रमण के मामले बढ़ गए।

पुरुषों के मुकाबले 'ज्यादा मजबूत' साबित हो रहीं महिलाएं

शोध के लिए 15 से 62 उम्र वाले मरीजों के सैंपल लिए गए थे, जिसमें एसिम्प्टोमैटिक कोरोना मरीजों की संख्या अधिक थी। इनमें 61% पुरुष और 39% महिलाएं थीं। अन्य शोध के मुताबिक, यह वायरस महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को अधिक अपनी चपेट में ले रहा है।

क्या है वजह ?

दरअसल, औरतों के इम्यून सिस्टम में रिस्क फैक्टर कम होते हैं वहीं उनकी इम्यूनिटी भी पुरुषों के मुकाबले अधिक होती है। पुरुषों में कोरोना वायरस फैलने का एक कारण स्मोकिंग, तंबाकू और शराब पीना भी है। ये गलत आदतें क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज (सीओपीडी) और फेफड़ों से जुड़ी कई बीमारियों को न्यौता देती हैं। शायद यही वजह है कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष इसकी चपेट में अधिक आ रहे हैं।

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पुरुष हॉर्मोन बढ़ाते हैं कोरोना का खतरा

वहीं एक रिसर्च की मानें तो एंड्रोजन हॉर्मोन (पुरुष हॉर्मोन) भी कोरोना का खतरा बढ़ाते हैं, जो महिलाओं में कम होते हैं। यह हार्मोन्स शरीर में प्रोटीन (TMPRSS2) को अधिक सक्रिय कर देते हैं, जिससे कोविड-19 का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, इलाज को लेकर भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का इम्यून रिस्पॉन्स बेहतर है। ऐसा इसलिए क्योंकि पुरुषों में 1 और महिलाओं में 2 एक्स (X) क्रोमोजोम्स होते हैं। एक्स क्रोमोजोम प्रोटीन में लगे कोरोना वायरस को सेंस करते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है।

सामाजिक और आर्थिक कारण

इसका एक कारण यह भी है कि ज्यादातर भारतीय महिलाएं हाउसवाइफ है और कोरोना संकट में घर से बाहर नहीं नहीं निकल रहीं। जबकि पुरूष को अगर काम ना भी जाना हो तो वह घर पर नहीं टिकटे। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बारे में पक्के तौर पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

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