बाल विवाह एक ऐसी क्रूर प्रथा है जो सदियों से भारतीय समाज में चली आ रही है। भले ही भारत चांद पर पहुंच गया हो लेकिन कुछ लोगों की सोच वहीं की वहीं खड़ी है। सदियोंं से लोग लड़कियों को बोझ समझकर छोटी उम्र में उनकी शादी बड़ी उम्र के पुरुष के साथ कर देते हैं। हालांक जागरूकता के चलते पिछले कुछ समय से बाल विवाह के आंकड़ों में काफी कमी आई थी लेकिन कोरोना वायरस के चलते यह प्रथा गरीबों के लिए एक मजबूरी बन गई है।
जी हां, हाल ही में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है कि कोरोना काल में मजबूरी, भूखमरी और आर्थिक तंगी के चलते लोग कम उम्र में अपनी बेटियों की शादी कर रहे हैं। गरीबी की मार झेल रहे कई परिवार अपनी लड़कियों को शादी के लिए मजबूर कर रहे हैं। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि इंडोनेशिया, पाकिस्तान और वियतनाम जैसे देशों में भी बाल विवाह के कई मामले सामने आए हैं।
बाल विवाह की ओर रूख कर रहें माता-पिता
'गर्ल्स नॉट ब्राइड' NGO की हेड शिप्रा झा के मुताबिक, कोरोना महामारी के कारण अब तक की गई बाल विवाह को रोकने की कोशिश असफल हो रही हैं। बेराेजगारी , गरीबी, महंगाई और शिक्षा की कमी के चलते माता-पिता में असुरक्षा की भावना जन्म ले रही है, जिसकी वजह से वह बाल विवाह की ओर रुख कर रहे हैं।
18 साल की उम्र से पहले कर रहें शादी
वहीं, यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 1 करोड़ से भी अधिक लड़कियों की शादी 18 साल से पहले ही कर दी जाती है। कुछ परिवार तो ऐसे हैं, जहां लड़कियों के लिए 14 साल की उम्र ही शादी के लिए सही माना जाता है। फिलहाल गरीबी की मार झेल रहे पेरेंट्स ही अपनी बेटियों का बाल विवाह करवा रहे हैं।
आने वाले समय में बढ़ सकते हैं मामले
रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा की कमी और रहन-सहन के गिरते स्तर की वजह से आने वाले समय में बाल विवाह के मामलों में वृद्धि हो सकती है। माता-पिता पैसों की लालच में मासूम बच्चियों को शादी के लिए मजबूर करते हैं।
क्या कहता है कानून?
बाल विवाह को रोकने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अहम कदम उठाया था। बाल विवाह निषेध के लिए संसद ने 1978 में अधिनियम 2006 पास किया। इसके चलते लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 कर दी गई थी। हालांकि यूनिसेफ के मुताबिक, हर 10 में से 1 लड़की की शादी 18 साल से पहले ही कर दी जाती है। हालांकि बाल विवाह को रोकने के लिए ओर भी बहुत से कानून बनाए गए है, जिनसे आधे से ज्यादा लोग तो वाकिफ ही नहीं...
- बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 में पास हुए कानून के मुताबिक, अगर कोई अपनी बच्ची की शादी 18 साल से पहले करता है तो उसे 1 लाख रुपए जुर्माना या 2 साल की जेल होगी।
-यही नहीं, अनिवार्य विवाह पंजीयन अधिनियम, 2006 के अनुसार, हर कपल को अपनी शादी का रजिस्टेशन करवाना जरूरी है।
-अगर लड़की की गैर-कानूनी ढंग से शादी हो रही है तो माता-पिता के अलावा शादी में शामिल सभी लोग जैसे परिवार, बाराती, पंडित, जिले के मुखिया, टेंट हाउस, ब्यूटी पॉर्लर, हलवाई, घोड़ी व बैंड-बाजे वाले, कैटर्स आदि पर भी कार्रवाई की जाएगी।
खत्म कर सकते हैं यह परंपरा
बाल विवाह जैसी क्रूर प्रथा को खत्म करना कोई मुश्किल बात नहीं है बस इसके लिए थोड़ी-सी जागरुकता की जरूरत है। वहीं महामारी के चलते बेरोजगार हुए लोगों में थोड़ी उम्मीद भरने की जरूरत है, ताकि वह इस प्रथा की ओर रुख करें।
वहीं, जिन लड़कियों को कोरोना के चलते शिक्षा नहीं मिल पा रही उनके लिए कोई साधन उपलब्ध करवाया जाना चाहिए क्योंकि बेहतर शिक्षा से ही लड़कियां बाल विवाह का विरोध कर पाएंगी।