गर्भावस्था के दौरान कोरोना वायरस से संक्रमित हुईं महिलाओं के बच्चों में मोटापे की समस्या अधिक होने की आशंका है। एक नए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। गर्भावस्था के दौरान संक्रमण के कारण बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर जैसे न्यूरोडेवलपमेंटल विकारों की समस्या देखी गई है।
बच्चों में कई रोगों का खतरा
बोस्टन स्थित मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल की प्रबंध निदेशक लिंडसे टी फोरमैन ने कहा- ‘‘हमारे अध्ययन के निष्कर्ष में पता चला है कि गर्भ में ही कोरोना वायरस के संपर्क में आने वाले बच्चों में मोटापा, मधुमेह और हृदय संबंधी रोग का खतरा अधिक होता है।'' अनुसंधानकर्ताओं ने अध्ययन में उन 150 नवजात शिशुओं को शामिल किया जिनकी माताएं गर्भावस्था के दौरान कोविड-19 से ग्रसित थीं।
गर्भावस्था के दौरान जांच की जरूरत
अध्ययन में पाया गया कि गर्भ में संक्रमण के संपर्क में आए शिशुओं में जन्म के समय अपेक्षाकृत वजन कम था, लेकिन एक साल में उनका वजन अपेक्षाकृत अधिक बढ़ा। यह अध्ययन ‘एंडोक्राइन सोसाइटीज जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रायनोलॉजी एंड मेटाबोलिज्म' में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान संक्रमण का शिकार रही मां से जन्मे बच्चों में एहतियातन इसकी जांच जरूर करा लेनी चाहिए।
प्रेगनेंसी में महिलाएं ऐसे करें खुद की देखभाल
. प्रसव पूर्व रक्तचाप मॉनिटर करते रहें।
. हैल्दी डाइट लेती रहें, ताकि आपकी इम्यूनिटी कमजोर ना हो।
. ज्यादा से ज्यादा आराम करें लेकिन एक्सपर्ट की सलाह से हल्के योग व एक्सरसाइज भी करती रहें।
. अगर आपको लेबर इंडक्शन या सी-सेक्शन के लिए कहा गया है तो अस्पताल जाने से पहले COVID-19 लक्षणों की जांच करवाएं।
. जितना हो सके मेंटल स्ट्रेस से बचने की कोशिश करें। इसके लिए बढ़िया म्यूजिक सुनें, किताबें पढ़ें।
गर्भावस्था और COVID-19 जोखिम क्या हैं?
जो महिलाएं गर्भवती हैं या हाल ही में गर्भवती हुई हैं, उनमें COVID-19 से गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। वहीं, कोविड -19 वाली प्रेग्नेंट वुमन में गर्भावस्था के 37 वें सप्ताह (समय से पहले जन्म) से पहले बच्चे को जन्म देने की संभावना अधिक होती है। एक्सपर्ट के मुताबिक, ऐसी महिलाओं में गर्भावस्था के नुकसान जैसी समस्याओं के लिए जोखिम बढ़ सकता है।