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ऑस्कर नॉमिनेटेड फिल्म के चाइल्ड स्टार का हुआ निधन, इस गंभीर बीमारी का बना शिकार

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 11 Oct, 2022 06:24 PM
ऑस्कर नॉमिनेटेड फिल्म के चाइल्ड स्टार का हुआ निधन, इस गंभीर बीमारी का बना शिकार

एंटरटेनमेंट वर्ल्ड से एक और दुखद खबर सामने आई है। ऑस्कर 2023 में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि गुजराती फिल्म ‘छेल्लो शो’  (द लास्ट फिल्म शो)के रिलीज होने से कुछ दिन पहले मुख्य किरदार के दोस्त की भूमिका निभाने वाले चाइल्ड स्टार  राहुल कोली का ल्यूकेमिया से निधन हो गया। उन्होंने 15 साल की उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह दिया। 

 

अस्पताल में भर्ती था राहुल

पान नलिन के निर्देशन में बनी फिल्म ‘छेल्लो शो’ 14 अक्टूबर को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी। फिल्म का अंग्रेजी शीर्षक “लास्ट फिल्म शो” है। गुजरात के जामनगर जिले के हापा शहर के रहने वाले राहुल का अहमदाबाद के कैंसर अस्पताल में भर्ती होने के करीब चार महीने बाद ल्यूकेमिया से निधन हो गया। राहुल ने  ‘छेल्लो शो’ में नौ वर्षीय नायक समय (भाविन रबारी) के दोस्त की भूमिका निभाई थी। 

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फिल्म को लेकर था उत्सुक

ऑटोरिक्शा चालक रामू कोली ने बताया कि "उनका बेटा राहुल इस फिल्म को बड़े पर्दे पर देखने के लिए उत्सुक था। वह हमेशा कहता था कि फिल्म के रिलीज होने के बाद उनका अच्छा समय आएगा। किसे पता था कि वह इससे पहले ही  दुनिया से चला जाएगा।’’ राहुल को इस साल ल्यूकेमिया (शरीर के रक्त बनाने वाले ऊतकों का कैंसर) का पता चला था। जामनगर के अस्पताल में उनका ईलाज चल रहा था। 

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तेज बुखार के बाद हो गया निधन

 परिवार को इस बीमारी के बारे में भी मूवी की शूटिंग के बाद पता चला। 9 अक्टूबर को राहुल को तेज बुखार हो गया। दिन में तीन बार उनको खून की उल्टी भी हुई। इसके बाद उनका निधन हो गया। यह फिल्म नलिन की खुद की यादों से प्रेरित है, जिन्हें गुजरात के ग्रामीण इलाकों में बचपन में ही फिल्मों से प्यार हो गया था। फिल्म के निर्माता सिद्धार्थ रॉय कपूर हैं और इसका निर्माण रॉय कपूर फिल्म, जुगाड़ मोशन पिक्चर्स, मॉनसून फिल्म्स, छेल्लो शो एलएलपी और मार्क ड्वेल ने किया है।

 

क्या है ल्यूकेमिया

ल्यूकेमिया भी खून से जुड़ी ही एक गंभीर बीमारी है, जिसे ब्लड कैंसर भी कहा जाता है। यह बच्चों और किशोरों में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है। अमेरिका में हर साल लगभग 3500- 4000 बच्चों को खून का कैंसर (ल्यूकेमिया) हो जाता है, और भारत में हर साल लगभग 12000 बच्चों में यह बीमारी पाई जाती है।  इस बीमारी में शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स (सफेद रक्त कोशिकाओं) की संख्या असामान्य रूप से बढ़ जाती है। 

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ल्यूकेमिया के संकेत और लक्षण

बुखार
बार-बार संक्रमण होना
कमज़ोरी
थकान
आसानी से खून बहना और घाव होना
हड्डियों और जोड़ों में दर्द
 

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