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Black Fungus: एक बार चली गई तो वापिस नहीं आती आंखों की रोशनी, बचाव कैसे होगा जानिए?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 19 May, 2021 12:59 PM
Black Fungus: एक बार चली गई तो वापिस नहीं आती आंखों की रोशनी, बचाव कैसे होगा जानिए?

कोरोना वायरस के साथ-साथ ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस भी लोगों के लिए परेशानी का कारण बने हुए है। इसका सबसे ज्यादा आंखों पर पड़ रहा है, जिसके कारण कई लोग अपनी अंधे भी हो चुके हैं। पिछले 2-3 हफ्ते में ब्लैक फंगस के करीब 400-500 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से कई लोग अपनी आंखों की रोशनी गवां चुके हैं।

नहीं वापिस आती आंखों की रोशनी

सबसे खतरनाक बात तो यह है कि अगर इन मरीजों की आंखें खराब हो जाए तो वो ठीक नहीं होती। ब्लैक फंगस से ग्रस्त मरीजों को एंटीफंगल दवाएं दी जा रही हैं लेकिन उससे आंखों की रोशनी वापिस नहीं आती। यह फंगस खून के जरिए फेफड़ों, नाक, आंख और मस्तिष्क में प्रवेश करता है। इसके कारण नसें बंद हो जाती है और वहां सूजन आने लगती है। हालांकि अगर समय रहते इसका इलाज करवाया जाए तो आंखों को खराब होने से बचाया जा सकता है।

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ज्यादातर डायबिटीज के मरीज

बता दें कि डायबिटीज मरीजों को इसका सबसे ज्यादा खतरा है। अभी तक सामने आए केसों में भी जिन मरीजों ने आंखें खोई उनमें ज्यादातक डायबिटीज मरीज थे।

स्टेरॉयड बन रहा बड़ा कारण

कोरोना के रिकवरी के बाद मरीजों को सिर्फ 5-10 तक ही स्टेरॉयड लेना चाहिए जबकि मरीजों को 10 से 15 दिन तक स्टेरॉयड दिया जा रहा है। यही उनमें ब्लैक फंगस का कारण बन रहा है। यह फंगस 5 दिनों में ही अगली स्टेज पर पहुंच जाता है यानि 15 दिन में मरीज तीसरी स्टेज पर होता है। हालांकि यह कोई नई बीमारी नहीं है लेकिन कोरोना के कारण यह बढ़ गई है।

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किस स्टेज में क्या होता है

पहला चरण : शुरूआत में वायरस नाक में ही रहता है, जिसके कारण जुकाम, नाक बंद होना, नाक से खून बहना, दर्द, चेहरे पर सूजन व कालापन आने लगता है।
दूसरा चरण : इसके बाद वायरस नाक व आंख की एक नस से साइनस और उसके बाद ब्रेन में चला जाता है। इससे नसें भी ब्लॉक हो जाती है और आंख में दर्द, सूजन धुंधलापन होने लगता है।
तीसरा चरण : इसमें वायरस आंख के साथ फेफड़े में भी जा सकता है। आंखें हिलती नहीं और बंद हो जाती है। इससे ना सिर्फ दिखना बंद हो जाता है बल्कि फेफड़े में जाने पर खांसी और जकडन जैसी समस्याएं होने लगती है।
चौथा चरण : इसमें वायरस मस्तिष्क में चला जाता है, जिसमें मरीज बेहोश होने लगता है। साथ ही इससे दूसरी मानसिक दिक्कतें भी शुरू हो जाती हैं।

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बचाव के लिए क्या करें?

1. कोरोना से ठीक हो चुके शुगर के मरीजों पर ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ने लगा है इसलिए हाई ब्लड शुगर को कंट्रोल करें। साथ ही रेगुलर ब्लड शुगर की जांच करवाते रहें। 
2. हो सके तो स्टेरॉयड का इस्तेमाल ना करें या डॉक्टर की सलाह कम मात्रा में इसका यूज करें।
3. ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए साफ पानी यूज करें।

कोरोना ठीक होने के बाद अगर आखों में धुंधलापन, चेहरे में दर्द या कोई परेशानी हो तो उसे हल्के में ना लें और तुरंत चेकअप करवाएं।

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