लॉकडाउन की वजह से स्कूल कॉलेज को बंद कर दिया गया है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई खराब न हो इसके लिए बच्चों को ऑनलाइट क्लासेज दी जा रही है। मगर, ऑनलाइड पढ़ाई की वजह बच्चों पर होमवर्क का लोड काफी बढ़ गया है, जिसकी वजह से उनमें स्ट्रेस भी बढ़ रहा है। हीं, पेरेंट्स के सामने सबसे बड़ी मुसीबत इतने ज्यादा डेटा खपत और कनेक्टिविटी देने की है।
ऑनलाइन स्टडी से आ रही ये दिक्कतें...
ऑनलाइन से बढ़ा होमवर्क
बच्चों के पास अभी नए समेस्टर की किताबें नहीं आई हैं इसलिए छात्रों को होमवर्क यानि लिखने का काम अधिक दिया जा रहा है। कभी-कभी बच्चे पूरे दिन लिखने में व्यस्त रहते हैं। वहीं, नई नोटबुक के बिना बच्चे विषयवार अलग-अलग नोटबुक को बनाए रखने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में स्कूलों द्वारा ऑनलाइन क्लास के बहाने बच्चों पर अधिक होमवर्क का लोड बिल्कुल कम किया जाना चाहिए।
नेटवर्क की समस्या
ऑनलाइन क्लास में छात्रों और शिक्षकों को दोनों को ही कनेक्शन में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं, ऑनलाइड क्लासेज की वजह से डेटा की खपत भी पांच गुना ज्यादा बढ़ गई है।
वर्किंग पेरेंट्स की समस्या
वर्किंग पेरेंट्स इस वक्त वर्क फ्राम होम कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें यह दिक्कत है कि वह ऑनलाइन क्लासेज के लिए बच्चों को मोबाइल या लैपटाप कैसे करें जबकि वह खुद भी घर पर काम कर रहे हैं।
आंखों पर पड़ सकता है बुरा असर
ज्यादातर स्कूल सुबह 8-9बजे से 4-5 घंटे की कक्षाएं चला रहे हैं। ऐसे में इतनी देर कंप्यूटर या मोबाइल की स्क्रीन पर नजरें गड़ाने से बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है। टीचर्स को क्लासेज का समय भी इतना लंबा नहीं रखना चाहिए। इसकी बजाए वो बच्चों को वीडियो भेजकर उनसे ऑनलाइन क्वेरी मंगाकर भी पढ़ाई करा सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान...
. बच्चों को छोटी-छोटी फिजिकल एक्टिविटी के लिए प्रोत्साहित करें।
. एक ही जगह पर बैठे-बैठे उनकी सक्रियता कम हो सकती है इसलिए उन्हें बीच-बीच में ब्रेक लेने के लिए कहें।
. बच्चे के बैठने का पॉश्चर बिल्कुल ठीक रखें।
· ऑनलाइन क्लास के बाद वो परिवार के साथ भी समय बिताएं।
. मोबाइल या टीवी पर कम से कम समय बिताएं।
. बच्चे को हर 15 मिनट बाद आंखे बंद करने के लिए कहें। इससे आंखों को आराम मिलेगा.
· स्क्रीन बड़ी होगी तो आंखों के लिए ज्यादा बेहतर होगा।
. मोबाइल की जगह लैपटॉप का इस्तेमाल करे।
· स्क्रीन और बच्चे की आंखों का लेवल बराबरी पर हो. पीठ और सिर सीधे रहें।
· स्क्रीन को बच्चे से दो फीट की दूरी पर रखें।
इसके अलावा बच्चों में आए बदलावों को नोटिस करें। उनमें उदासी, नींद की कमी या नींद का बढ़ना, चिड़चिड़ापन दिखने लगें तो एक्सपर्ट से सलाह लें।