आज के दिन का दस बरस पहले के एक चर्चित अनशन से गहरा नाता है। सामाजिक कार्यकर्ता और देश में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की अलख जगाने वाले अन्ना हजारे ने 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में धुआंधार तरीके से अनशन किया था और 9 अप्रैल को अपने इस अनशन का समापन किया था।
उनके इस भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि कभी उनके सहयोगी रहे अरविंद केजरीवाल के दिल्ली के तख्तो ताज तक पहुंचने का रास्ता इसी आंदोलन से निकला था। अन्ना हजारे भारत के उन चंद नेताओं में से एक हैं, जो हमेशा सफेद खादी के कपड़े पहनते हैं और सिर पर गाँधी टोपी पहनते हैं।
अन्न हजारे के प्रमुख आंदोलन
महाराष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन (1991)
सूचना का अधिकार आंदोलन ( 1997-200)
महाराष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन (2003)
लोकपाल विधेयक आंदोलन ( 2011)
1998 में अन्ना हजारे उस समय चर्चा में आए थे जब उन्होंने बीजेपी-शिवसेना वाली सरकार के दो नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा उन्हें गिरफ्तार करने के लिए आवाज उठाई थी। इसी तरह 2005 में अन्ना हजारे ने कांगेस सरकार को उसके चार भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए प्रेशर डाला था।
1990 में 'पद्मश्री' और 1992 में पद्मभूषण से सम्मानित अन्ना हजारे की कार्यशैली बिल्कुल गांधी जी की तरह है जो शांत रहकर भी भ्रष्टाचारियों पर जोरदार प्रहार करती है। हजारे जन लोकपाल विधेयक को लागू कराने के उद्देश्य के साथ आमरण अनशन पर बैठे थे उस समय वह अकेले नहीं थे बल्कि उनके साथ समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग जुड़ चुका था।
याद हो कि 1997 में अन्ना हज़ारे ने सूचना के अधिकार क़ानून के समर्थन में मुहिम छेड़ी। आख़िरकार 2003 में महाराष्ट्र सरकार को इस कानून के एक मज़बूत और कड़े मसौदे को पास करना पड़ा। हालांकि हजारे राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल नहीं हुए। लेकिन उन्होंने समय-समय पर जनता के हितों से जुड़ी कई मांगों को उठाते हुए भूख हड़ताल की।