अभिनेता अमिताभ बच्चन की पोती आराध्या बच्चन के स्वास्थ्य के बारे में भ्रामक जानकारी प्रकाशित करने से यूट्यूब चैनलों को रोकने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश से सरकार को हजारों बच्चों की निजता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। कई विशेषज्ञों का यह मानना है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो समेत विभिन्न विशेषज्ञों ने कहा कि अब बच्चों को जोखिम में डालने वाली कंपनियों की जवाबदेही तय करने में भी मदद मिलेगी।
अदालत ने लगाई फटकार
आराध्या और उनके पिता अभिनेता अभिषेक बच्चन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि किसी बच्चे के बारे में गलत सूचना फैलाना ‘‘बीमार मानसिकता'' को दर्शाता है। अदालत ने ‘गूगल' को वे वीडियो हटाने का निर्देश दिया, जिनमें दावा किया गया है कि आराध्या बच्चन “गंभीर रूप से बीमार'' हैं या ‘‘मर चुकी हैं।'' कानूनगो ने इस मामले पर बात करते हुए कहा- “हम फैसले का स्वागत करते हैं और यह हजारों बच्चों की गोपनीयता सुनिश्चित करने तथा कंपनियों की जवाबदेही तय करने में हमारी मदद करेगा।”
माता-पिता से किया गया आह्वान
विशेषज्ञों ने माता-पिता से आह्वान किया कि वे यह तय करें कि उनके बच्चों की सोशल मीडिया पर कितनी उपस्थिति होनी चाहिए क्योंकि यह “समय से पहले वयस्क होने, ट्रोलिंग और अनुचित जोखिम” की ओर ले जाती है। बाल अधिकार कार्यकर्ता और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित सुनीता कृष्णन ने कहा कि माता-पिता के लिए यह जरूरी है कि वे इस बात पर विचार करें कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी के संपर्क में आने से बच्चे जल्दी वयस्क हो रहे हैं। यह ऑनलाइन माध्यमों से तंग किए जाने का कारण बनता है। माता-पिता को यह फैसला करना होगा कि वे अपने बच्चे के बचपन को कितना सुरक्षित करना चाहते हैं। यह माता-पिता के लिए सोचने का समय है, जिसमें सेलिब्रिटी माता-पिता भी शामिल हैं।”
माता-पिता बच्चों को सीखा रहे गलत आदतें
साइबर एक्टिविस्ट आकांक्षा श्रीवास्तव ने कहा कि जब बच्चे का दिमाग विकसित हो रहा होता है तो ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं जो गलत हो सकती हैं और सोशल मीडिया की लत उनमें से एक है। उन्होंने कहा- “ऐसे माता-पिता भी हैं जो अपने बच्चों की तस्वीरें और वीडियो ऑनलाइन मंचों पर डाल रहे हैं क्योंकि वे सोशल मीडिया पर तारीफ पाना चाहते हैं, और एक बार जब बच्चे को पता चलता है कि उनकी सराहना की जा रही है, तभी लत शुरू हो जाती है।” उन्होंने कहा- ''वे चाहते हैं कि अजनबी भी उनकी तारीफ करें। माता पिता भी यह कहकर उनको प्रोत्साहित करते हैं कि तारीफ पाना ठीक है। इससे बच्चे भंवर में फंस जाते हैं।''
माता पिता कर सकते हैं बच्चाें की मदद
श्रीवास्तव ने कहा कि सोशल मीडिया इस्तेमाल करना समस्या नहीं है, समस्या इसके इस्तेमाल की मात्रा को लेकर है। उन्होंने कहा- “संयम से किए गए किसी काम में कोई समस्या नहीं होती। अगर माता-पिता इसे समझने लगें, तो वे सोशल मीडिया के बेहतर उपयोग की आदत डाल सकते हैं। माता पिता ही बच्चों की मदद कर सकते हैं।” अदालत में आराध्या बच्चन और अभिषेक बच्चन का प्रतिनिधित्व करने वाली कानूनी कंपनी के सह-प्रबंध भागीदार सफीर आनंद ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अपमाजनक बातों के बीच सही संतुलन खोजना महत्वपूर्ण है।