'म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के'? फिल्म दंगल में आमिर खान का डायलॉग अदिति गोपीचंद पर फिट बैठता है। महज 17 साल की उम्र में अदिति ने Archery World Championship में 2 गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है। अदिति की इस सफलता का श्रेय उनके पिता को भी जाता है जिन्होंने बेटी को कामयाब बनाने के लिए कर्जा ले लिया।
बेटी के लिए गांव से शहर आए गोपीचंद
बता दें अदिति के पिता महाराष्ट्र के सतारा के एक गांव से हैं। बेटी की खेल में रूचि को देखते हुए पिता ने गांव को छोड़कर शहर का रास्ता किया और बेटी का स्कूल में एडमिशन करवा दिया, क्योंकि उनको पता था कि शहर में ही बेटी को ज्यादा मौका मिलेंगे।
गन्ने के खेत में अदिति करती थीं practice
अदिति जब 12 साल की थी तब उनके पिता उन्हें सतारा से सहाहू स्टेडियम लेकर गए। अदिति को यहां तीरंदाजी का खेल काफी दिलचस्प लगा। पिता ने बेटी का वहां दाखिला करा दिया। अदिति की धीरे-धीरे आर्चरी में दिलचस्पी बढ़ने लगी। वो घंटों गन्ने के खेत में बनी अकेडमी में समय बिताी थीं, जिसे देखकर पिता को अंदाजा हो गया कि बेटी में प्रतिभा के साथ खूब लगन है और वो कुछ बड़ा कर सकती है।
कर्जे में डूब चुका है अदिति का परिवार
बेटी को उसका खुद को धनुष दिलाने के लिए गोपीचंद को कर्जा लेना पड़ा। एक धनुष लगभग ढाई लाख रुपए का पड़ता है, वहीं तीरों की कीमत 50 हजार तक होती है। लॉकडाउन में अदिति घर पर ही अभ्यास करती थीं। दिवाली हो या होली उन्होंने अभ्यास मिस नहीं किया। इसका असर लॉकडाउन के बाद दिखने लगा। बेटी की कामयाबी का मतलब था और ज्यादा खर्चा। इसकी भरपाई के लिए वो लगभग 10 लाख रुपए के कर्जे में डूब गए। अदिति के मां- बाप का आधा वेतन कर्जा चुकाने में जाता है, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी के लिए यह सब मंजूर है।