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भक्त ने भेंट की तिरुपति बालाजी को 1 करोड़ की तलवार, जानिए इस मंदिर की खासियत

  • Edited By neetu,
  • Updated: 21 Jul, 2021 06:49 PM
भक्त ने भेंट की तिरुपति बालाजी को 1 करोड़ की तलवार, जानिए इस मंदिर की खासियत

भारत में बहुत से ऐसे मंदिर है जहां पर सालभर भक्तों की भीड़ रहती है। इनमें से एक है हैदराबाद के आंध्र प्रदेश का तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर। इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर अपनी पत्नी के साथ विराजमान है। वहीं यह मंदिर कई रहस्यों से भरा हुआ है। यहां पर भक्त अपनी श्रद्धा से पैसे, सोना, चांदी आदि भेंट करते हैं। ऐसे हैदराबाद के एक श्रद्धालु ने भगवान वेंकटेश्वर को सोने व चांदी की तलवार भेंट की है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...

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भगवान वेंकटेश्वर को अर्पित की सोने की तलवार

सोमवार को आंध्र प्रदेश के तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर में एक कारोबारी श्रद्धालु श्रीनिवास ने भगवान को सूर्यकटारी चढ़ाई है। मंदिर के अधिकारी ने बताया है कि दो किलोग्राम सोने और तीन किलो चांदी से बनी यह तलवार लगभग 5 किलोग्राम है। बात इसकी कीमत की करें तो यह 1 करोड़ 8 लाख रुपए बताई जा रही है। इस तलवार को श्रीनिवास ने अपनी पत्नी के साथ मंदिर के अधिकारियों को सौंपा है। कहा जा रहा है कि वे पिछले 1 वर्ष से इस तलवार को भेंट करना चाह रहे थे। मगर कोरोना के कारण इसमें देरी हो रही थी। सोने व चांदी से तैयार यह तलवार ‘नंदका’ (‘सूर्य कटारी’) भगवान बालाजी के पास पहले से मौजूद तलवार की तरह दिखती है। अधिकारी द्वारा बताया गया है कि मंदिर के अतिरिक्त कार्यकारी अधिकारी ए वेंकट धर्म रेड्डी ने इस तलवार को हासिल किया है।

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चलिए जानते हैं मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें...


कई रहस्यों से भरा तिरूपति बालाजी मंदिर

यह मंदिर पर्वत की वेंकटाद्रि नामक 7वीं चोटी पर स्थापित है जो श्री स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे पर बसा है। इसलिए तिरूपति बालाजी को भगवान वेंकटेश्वर के नाम पूजा जाता है। भारत में तिरूपति बालाजी का मंदिर सबसे अमीर माना जाता है। कहा जाता है कि यहां पर हर किसी की मुरादें पूरी होती है। इसके साथ ही मन्नत पूरी होकर पर भक्त यहां पर बाल दान करते हैं।

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मूर्ति से समुद्री लहरों की आवाज का आना

यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि भगवान की मूर्ति से समुद्र की लहरों की आवाज आती है। शायद इसलिए मूर्ति हमेशा नम रहती है। इसके साथ ही  मंदिर के मुख्य द्वार के दरवाजे के दायीं ओर एक छड़ी पड़ी है। कहा जाता है कि बाल्‍यावस्‍था में इस छड़ी से भगवान तिरूपति बालाजी की पिटाई की गई थी। इसके कारण उनकी ठुड्डी पर चोट लगने का घाव है। ऐसे में तब से आज तक शुक्रवार को उनकी ठुड्डी पर हर चंदन का लेप लगाता है।

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भगवान की मूर्ति का रहस्यमयी

माना जाता है कि तिरूपति बालाजी की दिव्य काली मूर्ति जमीन से प्रकट हुई है। इसके साथ वेंकटाचल पर्वत को भी भगवान का स्वरूप कहा जाता है। इसके साथ ही मूर्ति पर लगे बाल असली है और वे कभी भी उलझते नहीं है। मान्‍यता है कि ऐसा इसलिए क्योंकि यहां भगवान वेंकटेश्‍वर खुद विराजमान है।

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भगवान की मूर्ति को आता है पसीना

भगवान तिरूपति बालाजी की मूर्ति एक विशेष प्रकार के चिकने पत्‍थर की बनी होने पर पूरी तरह से जीवित सी लगती है। मंदिर का वातावरण भी पूरी तरह से ठंडा है। इसके बावजूद भी लोगों का मानना है कि भगवान को बहुत गर्मी लगती है। इसके कारण उन्हें पसीना आने से उनकी पीठ एकदम नम हो जाती है।

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अनोखे तरीके से होता है भगवान का श्रृंगार

तिरूपति बालाजी का श्रृंगार बेहद ही अनोखे तरीके होता है। असल में, भगवान की मूर्ति को प्रतिदिन नीचे धोती और ऊपर साड़ी पहनाई जाती है। इसके पीछे मान्‍यता है कि बालाजी में देवी लक्ष्‍मी का रूप समाहित है। कहते हैं हर गुरुवार को बालाजी को स्नान करवाने के लिए उनका पूरा श्रृंगार उतारकर उन्हें चंदन का लेप होता है। इसके बाद चंदन लेप हटाने पर उनके हृदय पर लगे चंदन में देवी लक्ष्मी की छवि दिखाई देती है।

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मंदिर में रोजाना बनाते हैं तीन लाख लड्डू

कहा जाता है कि मंदिर में रोजाना 3 लाख देसी के लड्डू बनते हैं। इसके साथ इन लड्डूओं को वहां के कारीगर 300 साल पुरानी पारंपरिक विधि का इस्तेमाल करते हैं।

 

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