मां बनना हर औरत का सपना होता है । यह सपना सुख का एहसास दिलाता है जब वह अपनी छाती से बच्चे को दूध पिलाती है। शिशु के लिए मां का दूध वरदान होता है। डॉक्टर्स भी छह माह तक के बच्चों को स्तनपान कराने की ही सलाह देते हैं क्योंकि यह उनको कई बीमारियों से बचाता है। हालांकि कई बार मां या शिशु में से किसी एक की सेहत खराब होने के कारण या किसी और वजह से बच्चे को दूध पिलाने के लिए बोतल का सहारा लेना प़डता है। नवजात बच्चे को बोतल से दूध पिलाना थोड़ा आसान होता है लेकिन जो पेरेट्स बच्चे को स्तनपान के साथ बोतल से दूध पिलाना चाहते है उनके लिए यह सिरदर्द बन जाता है। ऐसे में वो समझ ही नही पाते कि उनका बेबी बोतल से दूध क्यों नही पी रहा? आज हम ऐसे ही 6 कारण और उनका हल बताएंगें जिन्हें जानकर आप इस समस्या से निपट सकते हैं।
1.दूध का स्वाद
मां के दूध और घरेलू दूध या पाउडर दूध के स्वाद में बहुत फर्क होता है। कई बार बच्चे को बोतल से दूध पीने के बाद वह स्वाद नहीं मिल पाता जो उसे स्तनपान से मिलता है। अगर आपका बेबी स्तनपान कर रहा है और साथ ही आप बोतल से भी दूध पिलाना चाहती है तो उसे दूध के दोहरे टेस्ट से कुछ दिन फर्क पड़ सकता है। लगातार कोशिश करते रहिए हो सकता है कि आप बोतल का दूध पिलाने में कामयाब हो जाएं।
2. दूध की महक
दूध की महक से बच्चा पहचान लेता है कि यह मां का दूध है या बोतल का । ऐसे में बच्चा माँ का ही दूध पीना पसंद करेगा ना कि बोतल का। ऐसी स्थिति में बार -बार कोशिश करते रहना चाहिए आपके बच्चें को इस महक की आदत हो जाएगी।
3.निप्पल का साइज
बच्चे का बोतल से दूध न पीने का एक कारण यह भी हो सकता है। आजकल बाजार में निप्पल के बहुत से शेप और साइज मिलते हैं लेकिन सभी साइज बच्चे के मुंह में फिट नहीं बैठते इसलिए निप्पल खरीदते समय उसका साइज जरुर चैक कर लें। बेबी का मुंह बहुत छोटा होता है। सॉफ्ट और छोटे निप्पल से दूध पीने में बच्चा सहज महसूस करता है।
4.ठंडा दूध
बोतल का ठंडा दूध बच्चा नकार सकता है क्योंकि माँ के स्तन का दूध यदि सीधा बच्चे को पिलाया जाए तो उसका तापमान रूम टेम्परेचर से थोड़ा ज्यादा होता है इसलिए बच्चा हमेशा गर्म दूध पीना पंसद करता है।यह पचाने में भी आसान होता है।
5.बीमारी होने पर
जब बच्चा बीमार रहता है तो ऐसे में उसे भूख नहीं लगती। अगर बुखार, पेट दर्द, बंद नाक, दस्त आदि होने पर आपका बच्चा दूध पीने से इंकार करता है तो फौरन अपने डॉक्टर से सलाह लें।
6. बच्चे को दूध पिलाने का ढंग
जब घर के अलग -अलग मेंबर बच्चे को अपने -अपने तरीके से बैठकर दूध पिलाते है तो बच्चे को दूध पीने में मुश्कुिल आती है। बच्चा सबसे ज्यादा कंफर्टेबल अपनी मां की गोद में करता है। दूध पिलाने के लिए बच्चे को गोद में उठाकर 45 डिग्री एंगल से उसके सिर को अपनी कोहनी पर अच्छे से टिकाकर बैठें।
7. बड़ा होने पर
जैसे -जैसे बच्चा बड़ा होता उसे अपने आस-पास की चीजों की समझ होने लगती है। उसका ध्यान उन चीजों की तरफ खीचने लगता है और वह दूध पीना अवॉइड करने लगता है। इसलिए बच्चे को दूध पिलाने के लिए एकांत जगह चुननी चाहिए।