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नमकीन-चिप्स पर निर्भर देश के 52% युवा, भोजन में लेना जरूरी 7 रंग और 6 स्वाद

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 27 Jan, 2021 10:28 AM
नमकीन-चिप्स पर निर्भर देश के 52% युवा, भोजन में लेना जरूरी 7 रंग और 6 स्वाद

पहले के समय में जहां लोग हरी सब्जियां, देसी घी, दालें, चावल, चपाती से सजी हैल्दी थाली को महत्व देते थे वहीं आजकल लोग नमकीन और चिप्स पर ही निर्भर हैं। हाल ही में हुए एक रिसर्च का दावा है कि 52% युवा नमकीन-चिप्स और 49.3% किशोर तो तली हुई चीजों से ही अपना पेट भर रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि 98% वयस्क हरी सब्जियां और फल खाना ही नहीं चाहते। अगर यही हाल रहा तो आने वाले 20-30 सालों तक लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं।

पिज्जा/बर्गर पर निर्भर देश के आधे युवा

2017-18 रिपोर्ट की मानें तो 15 से 69 आयुवर्ग के लोग डायबिटीज, कैंसर, ब्लड प्रैशर जैसी बीमारियों के घेरे में हैं। इनमें सर्वे के अनुसार, 19% युवा नूडल्स, 6.4% पिज्जा/बर्गर, 18.2% कोल्डड्रिंक्स, 6.5% एनर्जी ड्रिंक को ही अपनी डाइट का हिस्सा बनाए हुए हैं। सिर्फ 33.9% युवाओं ने माना कि वो रोजाना ताजे फल व जूस का सेवन करते हैं। परिणाम यह है कि 6.2% एक्स्ट्रा वजन और 1.8% मोटापा ग्रस्त पाए गए हैं।

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ICMR और NCDIR की निगरानी में किए गए इस सर्वे में देश के 28 राज्यों के 348 जिलों में 300 शहर और 300 गांवों में 12 हजार परिवारों ने बातचीत की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि सटीक नतीजे तक पहुंचने के लिए 3 हजार लोगों के यूरिन सैंपल की जांच भी हुई।

गैर संक्रामक रोगों से लड़ाई में मिलेगी मदद

एक्सपर्ट का कहना है कि इससे गैर संक्रामक रोगों से लड़ने के लिए साल 2011 में संस्थान की शुरूआत की गई थी। इसपर देशभर के 600 संगठन मिलकर काम कर रहे हैं। भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने क्रामक रोगों के खिलाफ सबसे पहले फ्रेमवर्क तैयार करके 10 लक्ष्य पर काम शुरू किया है। इससे गैर संक्रामक रोगों से लड़ाई में काफी मदद मिलेगी।

बढ़ रहा खून में ग्लूकोज

26 फीसदी 30 से 69 साल के लोगों के खून की मात्रा भी अधिक पाई गई। हालांकि 47 फीसदी लोग अपनी समस्या से रूबरू है लेकिन सिर्फ 38 फीसदी ही सही उपचार करवा रहे हैं। वहीं, 52 हाई ब्लड प्रेशर की समस्या देखने को मिली, जिसमें से सिर्फ 29 फीसदी ने ही जांच करवाई।

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कैंसर जांच से घबरा रहीं महिलाएं

हैरान करने वाली बात तो यह है कि सरकार द्वारा ब्रेस्ट और गर्भाश्य कैंसर अवेयरनेस को लेकर कई अभियान चलाए जा रहे हैं लेकिन बावजूद इसके महिलाएं जांच के लिए आगे नहीं आती। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति काफी खराब है। रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 1.1% महिलाओं ने ही ब्रेस्ट और यूट्रस कैंसर की जांच में हिस्सा लिया है।

गलत खान-पान से बढ़ती बीमारियां

जिस तरह भारतीय थाली में फॉस्टफूड, जंक फूड, मसालेदार भोजन ने जगह ले ली है उससे लोगों में डायबिटीज, मोटापा, दिल के साथ कई बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। यही नहीं, इससे लोगों की मौत की संख्या काफी तेजी हो रही हैं। शोध के मुताबिक, अगर गलत आदतों में सुधार ना किया गया है तो यह 1.6 करोड़ लोगों की मौत का कारण बन सकता हैं क्योंकि आज हर व्यक्ति किसी ना किसी बीमारी की गिरफ्त में है। अगर इन्हें सुधार लिया जाए तो इसमें 25% तक कमी आ सकती है।

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खाने में 7 रंग और 6 स्वाद को जरूर करें शामिल

-HCFI का कहना है कि प्राचीन समय में लोग कई तरह के भोजन खाते थे, जिससे वो ज्यादा स्वस्थ और रोगमुक्त होते थे। भोजन में 7 रंग- लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, बैंगनी, सफेद और 6 स्वाद- मीठा, खट्टा, नमकीन, कड़वा, चटपटा और कसैला वाला भोजन शामिल करना जरूरी है।
-अपनी थाली में मौसमी फल, सलाद, मोटा अनाज ज्वार, बाजरा, मक्का, स्टार्च वाली सब्जियां, डेयरी फूड्स, मूंगफली, अखरोट, चिकन, पोल्ट्री प्रोडक्ट, नट्स, अनसैचुरेटेड फैट जैसे- जैतून या सरसों तेल, सैचुरेटेड फैट जैसे- चीज, बटर, कोकोनट आदि शामिल करें।
-इसके साथ ही अपनी थाली में 1 दाल, 1 सब्जी, सलाद, चपाती आदि खाएं। रात के समय हल्का-फुल्का भोजन करें, जो पचाने में आसान हो। भोजन के बाद 20-30 मिनट की सैर करना ना भूलें।

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हफ्ते में 1 जरूरी है उपवास

स्वस्थ रहने के लिए हफ्ते में कम से कम 1 दिन उपवास करना भी जरूरी है। हालांकि इसका मतलब कुछ भी नहीं खाना नहीं है बल्कि कुछ चीजों को छोड़ना है। व्रत के दौरान आप हल्का-फुल्का खा सकते हैं।

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