पिछले 27 साल से लटके महिला आरक्षण बिल को आखिरकार मंजूरी मिल गई है। लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसद कोटा तय करने के लिए संसद के विशेष सत्र में आज महिला आरक्षण बिल पेश किया जा सकता है। इतना ही नहीं 180 लोकसभा सीटों पर पुरुषों के साथ ही महिला सांसदों के भी चुने जाने की बात भी सामने आ रही है
प्रह्लाद सिंह पटेल ने दी जानकारी
केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने सोमवार को बताया कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है। मंत्री ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा- ‘‘सिर्फ (नरेन्द्र) मोदी सरकार के पास महिला आरक्षण की मांग को पूरा करने का नैतिक साहस है, जो मंत्रिमंडल की मंजूरी से साबित हो गया है। नरेन्द्र मोदी जी को बधाई और मोदी सरकार को बधाई।'' बताया जा रहा है कि करीब 90 मिनट तक चली मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया है।
बिल को लेकर सोनिया गांधी ने लिया क्रेडिट
वहीं इसी बीच कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने की खबरों के बीच कहा कि यह विधेयक अपना है। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख से सवाल किया गया कि ऐसा कहा जा रहा है कि महिला आरक्षण विधेयक इस विशेष सत्र में लाया जा रहा है और आपकी यह मांग भी थी, तो आप क्या कहना चाहती हैं? जवाब में उन्होंने कहा, “यह (विधेयक) अपना है।” केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार के समय वर्ष 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा से पारित हुआ था। उस समय सोनिया संप्रग की अध्यक्ष थीं और मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे।
महिला आरक्षण बिल का इतिहास
-महिला आरक्षण बिल 1996 से ही अधर में लटका हुआ है।
-एचडी देवगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर 1996 को इस बिल को संसद में पेश किया था।
-बिल में संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण का प्रस्ताव था।
-इस बिल में प्रस्ताव दिया गया था कि कि लोकसभा के हर चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए।
-अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1998 में लोकसभा में फिर महिला आरक्षण बिल को पेश किया था।
-यूपीए सरकार ने 2008 में इस बिल को 108वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में राज्यसभा में पेश किया।
-नौ मार्च 2010 को भारी बहुमत से पारित हुआ. बीजेपी, वाम दलों और जेडीयू ने बिल का समर्थन किया था।
-साल 2014 में लोकसभा भंग होने के बाद यह बिल अपने आप ख़त्म हो गया था।
-बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्रों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का वादा किया, लेकिन इस मोर्चे पर कोई ठोस प्रगति नहीं की।