गर्भाशय महिलाओं के शरीर का बहुत अहम हिस्सा है। कंसीव करने से लेकर डिलीवरी तक गर्भाशय का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ऐसे में अगर गर्भाशय यानी की बच्चेदानी में किसी तरह की कोई परेशानी हो तो कंसीव करने में दिक्कत आती है और प्रेग्नेंसी में भी कई सारे complications हो सकते हैं। अगर ज्यादा समय तक बच्चेदानी से जुड़ी समस्या को नजरअंदाज किया जाए तो इनफर्टिलिटी की समस्या भी हो सकती है। जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने। आए आपको बताते हैं इसके बारे में विस्तार से...
बच्चेदानी में गांठ
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो गर्भाशय फाइब्रॉएड महिलाओं में होने वाला सबसे आम ट्यूमर है। इससे महिलाओं की फर्टिलिटी प्रभावित होती है। NCBI की एक रिपोर्ट की मानें तो बच्चेदानी में गांठ की वजह से 2-3 % महिलाओं में इनफर्टिलिटी की परेशानी देखी गई है। फाइब्रॉएड की परेशानी की वजह से कई तरह की समस्याएं होती हैं, जिसमें इनफर्लिटी भी शामिल है।
गर्भाशय में पॉलीप्स
रिपोर्ट्स की मानें तो गर्भाश में पॉलीप्स बनना महिलाओं में इनफर्टिलिटी की वजह बन सकती है। दरअसल, गर्भाशय में पॉलीप्स जब बन जाता है तो इससे निषेचित अंडे के लुए गर्भशय की दीवारों से जुड़ना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है। पॉलीप्स शुक्रणु (Sperm) को अंडे से जुड़ने से रोकता है। ऐसे में स्पर्म को गर्भशय में प्रवेश करने में परेशानी होती है। इस वजह से महिलाओं को इनफर्टिलिटी की समस्या भी हो सकती है।
एंडोमेट्रयोसिस (Endometriosis)
ये भी महिलाओं की बच्चेदानी से जुड़ी परेशानी है। इस परेशानी में गर्भाशय के बाहर सेल्स विकसित होने लगते हैं। मुख्य रूप से ये सेल्स फैलोपियन ट्यूबस, ओवरीज या अन्य पैल्विक अंगों की ओर बढ़ते हैं। ऐसे में महिलाओं को कंसीव करने में परेशानी आती हैं। कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो एंडोमेट्रियोसिस प्रेग्नेंसी में कठिनाई या इनफर्टिलिटी के जोखिमों को बढ़ा देता है। स्टडीज से पता चला है कि लैप्रोस्कोपी के समय देखी जाने वाली एंडोमेट्रियोसिस की मात्रा फ्यूजर की प्रजनन क्षमता से जुड़ी होती हैं।