कोरोना के लॉकडाउन के कारण सभी काम धंधे ठप पड़े है ऐसे में सबसे ज्यादा मुश्किल हालातों से मजदूरों गुजर रहे हैं। देखा जाए तो कोरोना के कारण कई ऐसे प्रवासी मजदूर है जिन्हें तीन वक्त का खाना तो क्या एक वक्त का खाना भी बड़ी मुशिकल से नसीब होता है और जिस तरह इस कोरोना से देश के आर्थिक हालात खराब हो रहे है वैसे ही हो सकता है देश में भुखमरी जैसे हालात भी पैदा हो जाए बल्कि इस भुखमरी के हालात से तो कई मजदूर अभी से गुजर भी रहे है।
ऐसी ही एक प्रवासी मजदूर है जो इन हालातों के आगे परेशान है और उसका कहना है कि वो कोरोना से मरे या न मरे लेकिन इस भुखमरी से जरूर मर जाएगी। महिला मजदूर की एक बेटी है जो महज 8 दिन की है ऐसे में महिला व उसका पति दोनो उत्तराखंड के नैनीताल गांव के है और पुरानी दिल्ली के किसी इलाके में मजदूरी करते है लेकिन अब इस लॉकडाउन में सभी काम धंधे बंद होने की वजह से उन्हें दो दिन में बस एक बार ही खाना नसीब होता है। अपनी बेटी को देख पिता गोपाल के आंसू नहीं रूकते है वही मां भी खुद को रोक नही पाती।
उसका कहना है कि, 'बस एक मुट्ठी चावल खाया है....दूध नहीं उतर रहा है....बेटी को कैसे पिलाऊं,' अब ये हालात सिर्फ इन मजदूरों के ही नही है बल्कि देश के तमाम दिहाड़ी मजदूरों के हैं जो इस लॉकडाउन के कारण तमाम मुशिकलें झेल रहे है।