असम की गांधीवादी कार्यकर्ता 102-वर्षीय शकुंतला चौधरी को पद्मश्री से सम्मानित करने का फैसला किये जाने में भले ही काफी देर हो गई हो, लेकिन उनके परिजन और शुभचिंतकों के लिए यह ‘देर आयद, दुरुस्त आयद’ के समान है। चौधरी उम्र के इस पड़ाव पर नि:स्वार्थ सेवा, सत्य, सादगी और अहिंसा के लिए समर्पित अपने जीवन की धुंधली यादों के साथ, सरनिया आश्रम में रहती हैं। यह वही आश्रम है, जहां महात्मा गांधी 1946 में अपनी अंतिम यात्रा के दौरान रुके थे।
कई पुरस्कारों से हो चुकी है सम्मानित
कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक न्यास (केजीएनएमटी) की समन्वयक कुसुम बोरा मोकासी ने से कहा, ‘‘हमें बहुत खुशी है कि उन्हें पद्मश्री से सम्मानित करने का फैसला किया गया है, लेकिन यह सम्मान उन्हें बहुत पहले दिया जाना चाहिए था।… अब वह इसे ग्रहण के लिए राष्ट्रीय राजधानी की यात्रा कर पाने की स्थिति में नहीं हैं। विनोबा भावे की करीबी सहयोगी रहीं चौधरी 1947 से ही गांधीवादी संस्थानों के ‘दिल और आत्मा’ रही हैं, जिन्होंने राज्य में अनेक युवतियों और महिलाओं के जीवन में व्यापक परिवर्तन लाये हैं। उन्हें जमनालाल बजाज पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
गांधीवादी छवि पूरे राज्य में प्रसिद्ध
समाजसेविका शकुंतला देवी महात्मा गांधी के विचारों और सिद्धांतों को आगे बढ़ा रही हैं। उनकी गांधीवादी छवि पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी शकुंतला चौधरी 1947 से ही सेविका विद्यालय और कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट की असम शाखा में सबसे प्रमुख लोगों में से हैं। मोकासी ने कहा- पहले, अगर हम पुरस्कारों पर चर्चा करते तो वह नाराज हो जाती थीं और कहती थीं कि समाज सेवा उनका कर्तव्य है, लेकिन अब हमें यह भी यकीन नहीं है कि उन्हें पद्म श्री से सम्मानित होने का अहसास हुआ है। उनकी उम्र को देखते हुए हम अधिकारियों से सरनिया आश्रम में एक साधारण समारोह में चौधरी को पुरस्कार प्रदान करने का अनुरोध करते हैं।
पद्मश्री सम्मान को लेकर काफी खुश हैं शकुंतला देवी
उनकी भतीजी चंदना चौधरी बरुआ ने कहा- चौधरी संभवत: इस घटनाक्रम के बारे में भिज्ञ नहीं होंगी, लेकिन हम उन्हें इसके बारे में लगातार बता रहे हैं, ताकि उन्हें कुछ अहसास हो सके। चौधरी, हालांकि खुश हैं और उन्हें बधाई देने आने वाले शुभचिंतकों के गुलदस्ते लेकर प्रसन्न नजर आ रही हैं। वह सभी का हाथ जोड़कर अभिनंदन कर रही हैं और अपनी मंद आवाज में ‘महात्मा गांधी की जय’ के नारे भी लगा रही हैं।