बॉलीवुड इंडस्ट्री की मर्लिन मुनरो मधुबाला को भले ही दुनिया को अलविदा कहे काफी साल बीत चुके हो चुके हो लेकिन लोगों के दिलों उनकी छाप आज भी कायम है। उस दौर में लोग न सिर्फ उनकी खूबसूरती पर मरा करते थे बल्कि उनकी मुस्कुराट पर फिदा थे। भले ही मधुबाला ने अपनी लाइफ में काफी नाम शोहरत दोनों की हासिल किया हो लेकिन प्यार के लिए वो हमेशा तरसती रही। चलिए जानते है मधुबाला की लव लाइफ से जुड़ी बातें...
जहां मधुबाला सिल्वर स्क्रीन पर फिल्म मुगल-ए-आजम में एक्ट्रेस अकबर के सामने सलीम से प्यार का इजहार करती नजर आईं, मगर निजी जिंदगी में भी उन्हें ऑनस्क्रीन सलीम यानी दिलीप कुमार से प्यार हुआ, मगर इस प्यार का अंजाम मधुबाला के लिए बुरा रहा।
दरअसल, मधुबाला और दिलीप कुमार की लव स्टोरी साल 1951 में आई फिल्म तराना के सेट से शुरू हुई थी, पहली नजर में दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठे थे, मगर मधुबाला के पिता यह बिल्कुल मंजूर नही था। इसी वजह से दोनों की जोड़ी रियल लाइफ में हमेशा के लिए टूट गई। दिलीप कुमार के बाद मधुबाला का दिल एक बार फिर गायक और एक्टर किशोर कुमार के लिए धड़का। किशोर कुमार काफी जिद्दी स्वभाव के थे। वे मधुबाला से प्यार तो करते थे और उनसे शादी भी करना चाहते थे और मौका पाकर उन्होंने एक दिन मौका पाकर मधुबाला को प्रपोज भी कर दिया मगर घरवालों का खयाल था इस वजह से उन्होंने पहले ना की मगर जब किशोर कुमार नहीं मानें और अलग-अलग अंदाज से मधुबाला को मनाने लगे तो मधुबाला भी इंकार ना कर सकीं। फ़िल्म 'चलती का नाम गाड़ी' में 'एक लड़की भीगी-भागी-सी...' गाना गाकर किशोर ने मधुबाला का दिल जीत लिया और दोनों ने शादी कर ली।
शादी के बाद पता चला कि मधुबाला के दिल में एक छोटा-सा छेद है जिसके बाद वो बिस्तर पर पड़ी रही लेकिन इस बीच किशोर कुमार महीने-दो महीने में एकाध बार उनसे मिलने जाते है। जिस समय मधु को किशोर की सबसे ज्यादा जरूत थी, उस वक्त बिजी शेड्यूल के कारण किशोर उन्हें वो वक्त नहीं दे पाए। मगर कभी कंभार उनसे मिलने जरूर चले जाया करते थे जिसका जिक्र किशोर ने खुद करते हुए कहा था कि वो जब भी मधुबाला से मिलने जाते तो वो रोने लगती थी। किशोर नहीं चाहते हैं कि मधुबाला रोकर अपनी तबीयत ओर भी खराब करें। बीमार मधुबाला दर्द से तड़पती रहतीं और बेबस, लाचार बिस्तर पर पड़ी रहतीं! मधुबाला के ना सिर्फ दिल में छेद था बल्कि फेफड़ों में भी परेशानी थी। इसके अलावा उन्हें एक और गंभीर बीमारी थी जिस वजह से उनके नाक और मुंह से काफी खून निकलता था। मधुबाला को उनकी बीमारियों ने इस कदर जकड़ लिया था कि नौ सालों तक वो बिस्तर पर ही पड़ी रहीं।
मधुबाला दिल की बीमारी से पीड़ित थीं जिसका पता उन्हें तो पता चल चुका था लेकिन यह सच्चाई सबसे छुपा कर रखी। लेकिन, जब हालात बदतर हो गए तो ये छुप ना सका। कभी-कभी फ़िल्मो के सेट पर ही उनकी तबीयत बुरी तरह खराब हो जाती थी। इलाज के लिए जब वह लंदन गईं तो डॉक्टरों ने उनकी सर्जरी करने से मना कर दिया क्योंकि उन्हे डर था कि कहीं सर्जरी के दौरान ही उन्हें कुछ हो ना जाए।
तमाम दर्द को झेलते हुए 23 फरवरी 1969 को वह इस दुनिया को अलविदा कह कर चली गईं। उनके निधन के दो साल बाद उनकी एक फ़िल्म ‘जलवा’ रिलीज़ हुई, जो उनकी आख़िरी फ़िल्म थी।